High Uric Acid during Pregnancy: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत के प्रति अधिक सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान शरीर को होने वाली कोई भी परेशानी गर्भ में पल रहे शिशु को भी प्रभावित करता है। ऐसे में जच्चा-बच्चा की सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। यूरिक एसिड एक ऐसा केमिलकल है जो शरीर में खुद-ब-खुद होती है। जब आप कुछ खाद्य पदार्थ खाते हैं तो शरीर प्यूरीन को पचाता है, तब यूरिक एसिड का निर्माण होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान भी यूरिक एसिड की मात्रा उच्च होने का खतरा रहता है। आइए जानते हैं विस्तार से –

कितना होना चाहिए यूरिक एसिड का स्तर: स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जो महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं हैं, उनमें यूरिक एसिड का स्तर 2.5 से लेकर 5.6 mg/dL.होता है। वहीं, सामान्य परिस्थिति में गर्भावस्था की पहली तिमाही में यूरिक एसिड 2 से 4.2 mg/dL. के बीच होता है। जबकि दूसरी तिमाही में ये बढ़कर 2.4 से लेकर 4.9 mg/dL. तक हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में यूरिक एसिड 3.1 से लेकर 6.3 mg/dL. के बीच हो सकता है।

हाई यूरिक एसिड से क्या होते हैं जोखिम: हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि गर्भावस्था की पहली तिमाही में जिन महिलाओं को हाई यूरिक एसिड की परेशानी होती है, उन्हें प्री-क्लाम्प्सिया नाम की बीमारी हो सकती है। इसके अलावा, जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है। इस स्थिति में शरीर की इंसुलिन प्रोड्यूस और इस्तेमाल करने की क्षमता कमजोर होती है।

अजन्मे बच्चे पर क्या पड़ता है असर: स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में यूरिक एसिड की उच्च मात्रा होने पर इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है। ऐसे में बच्चे का वजन घट-बढ़ सकता है जिससे गर्भ में ही या फिर पैदा होने पर जान भी जा सकती है। इसके अलावा, बच्चों में हाइपरटेंशन, हृदय रोग व डायबिटीज का खतरा भी होता है। इन परेशानियों को कम करने के लिए जरूरी है कि प्रेग्नेंट महिलाएं अपना ख्याल रखें।

कैसे रखें ख्याल: बच्चा जन्म से ही स्वस्थ रहे इसके लिए जरूरी है कि महिलाओं का यूरिक एसिड काबू में रहे। हेल्दी डाइट फॉलो करके और व्यायाम व योगाभ्यास से यूरिक एसिड का स्तर कंट्रोल किया जा सकता है। फल, हरी सब्जियां, नट्स और साबुत अनाज के सेवन से इसके स्तर को काबू करना आसान हो सकता है। साथ ही, जंक फूड, नॉन वेज, प्रोसेस्ड और शुगरी फूड्स का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। वजन पर नियंत्रण भी इस परेशानी पर काबू करने में मददगार साबित होगा।