चंद्र और सूर्य ग्रहण को लेकर आज भी कई मिथक जुड़े हैं। लोगों के मन में आज भी यह एक डर है कि चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नुकसान हो सकता है या नहीं। माना जाता है कि सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर आंखों को नुकसान पहुंचता है। मगर चंद्र ग्रहण के साथ ऐसा नहीं है। इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्ण चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना सुरक्षित होता है। ऐसा करने से आंखों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है।
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कैसे देख सकते हैं ये ग्रहण? वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ग्रहण को देखने के लिए किसी तरह के खास चश्मे की जरूरत नहीं है। आप नंगी आंखों से भी ये चंद्र ग्रहण देख सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ये पूरी तरह सुरक्षित है।
ग्रहण काल में इस बात का रखें ख्याल: ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
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गुरु पूर्णिमा व उपछाया चंद्रग्रहण एक साथ: गुरु पूर्णिमा के दिन ही साल का तीसरा उपछाया चंद्रग्रहण लग रहा है , लेकिन यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ग्रहण जहां दिखता है, सूतक भी वही मान्य होता है। इस ग्रहण को अमेरिका, यूरोप और आस्ट्रेलिया में देखा जाएगा I यह दो घंटे 48 मिनट और 24 सेकेंड का होगा।
ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्र ग्रहण को देखने में विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं होती है। चंद्र ग्रहण को आप नंगी आंखों से देख सकते हैं। सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने से आंखों को नुकसान हो सकता है।
- भारत में चंद्र या फिर सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ संबंधी शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है. माना जाता है कि इस दौरान पूजा या फिर कोई शुभ कार्य करना अशुभ होता है. हालांकि, ग्रहण के दौरान यदि कोई चाहे तो मंत्रों का उच्चारण कर सकता है.
- साथ ही चंद्र ग्रहण या फिर सूर्य ग्रहण के दौरान खाना खाने पर भी पाबंदी रहती है. आज के वक्त में भी लोग इन बातों पर विश्वास करते हैं. हालांकि, विज्ञानिकों का मानना है कि ग्रहण के दौरान खाना खाने से कोई समस्या नहीं होती है. ऐसे में लोगों को व्रत रखने की जरूरत नहीं है.
- इसके अलावा ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करना और दान दक्षिणा करने की भी परंपरा है.
- भारत में चंद्र या फिर सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ संबंधी शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है. माना जाता है कि इस दौरान पूजा या फिर कोई शुभ कार्य करना अशुभ होता है. हालांकि, ग्रहण के दौरान यदि कोई चाहे तो मंत्रों का उच्चारण कर सकता है.
- साथ ही चंद्र ग्रहण या फिर सूर्य ग्रहण के दौरान खाना खाने पर भी पाबंदी रहती है. आज के वक्त में भी लोग इन बातों पर विश्वास करते हैं. हालांकि, विज्ञानिकों का मानना है कि ग्रहण के दौरान खाना खाने से कोई समस्या नहीं होती है. ऐसे में लोगों को व्रत रखने की जरूरत नहीं है.
- इसके अलावा ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करना और दान दक्षिणा करने की भी परंपरा है.
स्पेशल फिल्टर या ग्लासेज के बिना ग्रहण नहीं देखना चाहिये, साइंटिस्ट और खगोल शास्त्री इसी तरफ इशारा करते हैं बिना स्पेशल फिल्टर या ग्लासेज के ग्रहण को देखना आपकी आँखों के लिये नुकसानदायक हो सकता है, हालाँकि इस बार आपको किसी तरह की स्पेशल तैयारी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये ग्रहण भारत में नहीं पड़ने जा रहा है.
चंद्र ग्रहण के समय भोजन को शुद्ध रखना चाहिए. ग्रहण के दौरान भोजन में तुलसी की पत्तियां डाल देनी चाहिए. यदि संभव हो तो कुशा घास भी डाल सकते हैं. ऐसा करने से ग्रहण के दौरान निकलने वाली खतरनाक ऊर्जा का प्रभाव समाप्त हो जाता है. दूध, भोजन और जल में तुलसी के पत्ते डालने से ग्रहण का प्रभाव नहीं होता है.
आज की तरह ही पिछले महीने भी उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगा था। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद के आकार में किसी भी तरह का कोई फेरबदल नहीं होता है। इस चंद्र ग्रहण में चांद के ऊपर पृथ्वी की छाया पड़ने से चांद पर एक हल्की सी धूल जैसी छाया पड़ेगी। इसी को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं
ग्रहण के दौरान कुछ विशेष तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए। ग्रहण के दौरान और सूतक काल लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ग्रहण के दौरान सभी तरह के खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालने चाहिए। ग्रहण के दौरान मंदिर के दरवाजे और पर्दे बंद कर दिए जाते है। इस दौरान भगवान की मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान देना चाहिए। चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए।
पांच जुलाई को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. वैसे भी चंद्र ग्रहण को नंगी आंख से देख सकते हैं. इससे आंखों पर को बुरा असर नहीं पड़ता है. इसके साथ ही लोगों को यह याद रहे कि सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. सूर्य ग्रहण से निकलने वाली किरणें आंखों को नुकसान पंहुचा सकती हैं.
5 जुलाई को पूर्णिमा की तिथि है. इस दिन सूर्य मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं. नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा रहेगा. इस दिन योग एंद्र है. चंद्र ग्रहण का आरंभ सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा और 11 बजकर 22 मिनट पर यह चंद्र ग्रहण समाप्त होगा. यह चंद्रग्रहण 2 घंटे 43 मिनट की अवधि तक रहेगा
- ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं एक नारियल अपने पास रखें। इससे ग्रहण का बुरा असर नहीं पड़ता।
- ग्रहण काल में जप, ध्यानादि करना चाहिए। अपने ईष्ट देव के मंत्रों का मन ही मन जाप करना चाहिए।
- ग्रहण से पहले खाने पीने की वस्तु में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता और ग्रहण की समाप्ति के बाद आप इस भोजन का प्रयोग कर सकते हैं।
- मान्यता है कि ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
- ग्रहण काल की समाप्ति के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए।
चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है, ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में अवस्थित हों और ये घटना सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है.
चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। ये घटना सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है।
ग्रहणकाल में भोजन करने से बीमारियां पनपती हैं। मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ग्रहणकाल की किरणें शरीर को कमजोर करती हैं। इनसे बचने के लिए ग्रहण काल में बाहर नहीं निकलना चाहिए। हालांकि आज का ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, लिहाजा किसी तरह की कोई बंदिश नहीं है।
सामान्यत: ग्रहण के दौरान चंद्रमा या सूर्य की ओर नहीं देखना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि इससे आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता ही है, साथ ही ग्रहणकाल की किरणें मस्तिष्क पर भी असर छोड़ती है। वैज्ञानिक विशेष उपकरणों के माध्यम से ग्रहण को देखते और अध्ययन करते हैं।
चंद्रग्रहण के समय कई तरह की पाबंदियां होती हैं। शास्त्रीय विधान में कुछ चीजें करने से निषेध किया गया है। इसको नहीं मानने से जीवन पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है।
चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन पड़ता है, जबकि सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन ही होता है। दोनों ग्रहणों के लिए तिथियां निश्चित हैं।
कन्या राशि के लोग धन के मामले में सतर्क रहें। ग्रहण की वजह निवेश करना हानिकारक हो सकता है। मन में शांत् भाव से चिंतन करें। स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें और यात्रा से बचें ।
भारतीय शास्त्रों में ग्रहण के बारे में बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं। चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दौरान कई तरह के कार्यों को निषेध किया गया है। यद्यपि जो ग्रहण दिखाई नहीं देते है, उसमें ये निषेध मानना आवश्यक नहीं हैं।
ग्रहण के दौरान ईश्वर आराधना और भजन-कीर्तन करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। ग्रहण के पश्चात नदियों और सरोवरों में स्नान करना चाहिए।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ग्रहण को देखने के लिए किसी तरह के खास चश्मे की जरूरत नहीं है। आप नंगी आंखों से भी ये चंद्र ग्रहण देख सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ये पूरी तरह सुरक्षित है।
चंद्र ग्रहण आरंभ: 08:38 सुबह
परमग्रास चन्द्र ग्रहण: 09:59 सुबह
चंद्र ग्रहण समाप्त: 11:21 सुबह
ग्रहण अवधि: 02 घण्टे 43 मिनट 24 सेकेंड
राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव को शांत करने के लिए अपनी अपनी राशि के स्वामी ग्रह के बीज मंत्र का जाप शुभ फल कारक रहेगा। चंद्र ग्रहण काल में धन प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी माता का मंत्र शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए बगलामुखी मंत्र स्वास्थ्य लाभ के लिए महामृत्युंजय मंत्र विशेष लाभकारी सिद्ध होगा।
चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है। जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान चांद का गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक रहता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए। ज्योतिषों के अनुसार चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं। इसी वजह से उन्हें बेचैनी, पसीना आना और भावनात्मक रूप से कमजोर पड़ने जैसी चीजें हो सकती हैं।
माना जाता है कि ग्रहण के दौरान पल्स रेट प्रभावित होती हैं। लेकिन इसका असर बहुत छोटा होता है जिस कारण हमारा शरीर इस बदलाव को महसूस नहीं कर पाता है। वहीं, इस दौरान कई लोगों को नींद नहीं आने की शिकायत भी होती है।
चंद्र ग्रहण को लेकर अक्सर लोग ये सोचते हैं कि नग्न आंखों से वो इस अद्भुत खगोलीय घटना की झलक नहीं पा सकते। हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य ग्रहण के इतर चंद्र ग्रहण को नग्न आंखों से देखा जा सकता है।
केवल ज्योतिष ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि चंद्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण का सेहत पर भी असर पड़ता है। हालांकि, सूर्य ग्रहण की तुलना में चंद्र ग्रहण स्वास्थ्य पर कम असरदायक होता है।
आषाढ़ माह के आखिरी दिन यानि कि 5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है। जब भी ग्रहण की बात आती है तो मन में कई तरह के सवाल भी पैदा होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शुरू से ही लोगों को ये बात बतायी जाती है कि ग्रहण के दौरान न तो कुछ खाना-पीना चाहिए और न ही ग्रहण का खुली आंखों से दीदार करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। दरअसल, ऐसा तब होता है जब पृथ्वी, सूरज और चांद के बीच तो आती है लेकिन तीनों एक ही रेखा में नहीं होते हैं। ऐसे में चांद की छोटी सी सतह पर अंब्र नहीं पड़ता है। बता दें, पृथ्वी के बीच के हिस्से से पड़ने वाली छाया को अंब्र (Umbra) कहा जाता है। चांद के बाकी के हिस्सों पर पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है, जिसे पिनंब्र (Penumbra) या उपछाया कहते हैं. इस वजह से ही इस तरह के ग्रहण कों उपछाया ग्रहण कहा जाता है।
5 जुलाई को लगने वाला यह चंद्रग्रहण इस बार भी गुरु पूर्णिमा के दिन लग रहा है। यह लगातार तीसरा साल है जब गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है।
ये चंद्र ग्रहण अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से में दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। ग्रहण काल में चंद्रमा कहीं से कटा हुआ होने की बजाय अपने पूरे आकार में नजर आएगा।
ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए
पांच जून से लेकर पांच जुलाई के बीच का यह तीसरा ग्रहण है. ज्योतिषियों की मुताबिक एक महीने में अंतराल में तीन ग्रहण का पड़ना अशुभ माना जाता है. इसके प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है. इसलिए बाकी ग्रहण की तरह इस उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा. सूतक काल मान्य ना होने की वजह से मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी. इसलिए इस दिन आप सामान्य दिन की तरह ही सभी काम कर सकते हैं.
5 जुलाई को लगने वाला ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा. शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है. इसलिए इस दिन कोई भी कार्य करने पर प्रतिबंध नहीं होगा. हालांकि ज्योतिषविद थोड़ी बहुत सावधानी बरतने की सलाह जरूर देते हैं. यह ग्रहण धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दौरान, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा. खास बात ये है कि इसी दिन गुरू पूर्णिमा भी है. इस उपछाया चंद्रग्रहण को धनुर्धारी चंद्रग्रहण भी कहा जा रहा है.
आषाढ मास के पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इसी दिन चारों वेद व महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। वेदों की रचाना करने के कारण इन्हें वेद व्यास भी कहा जाता है। वेद व्यास के सम्मान में ही आषाढ़ पूर्णिका को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु पूजन का विशेष विधान है। इस बार गुरु पूर्णिमा पांच जुलाई को पड़ रहा है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो चंद्रग्रहण एक ऐसी आकाशीय घटना है जिसे आंखों से देखना पूरी तरह से सुरक्षित है और चंद्रग्रहण के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक आप इसे सीधे आंखों से देख सकते हैं। आप चाहें तो चंद्रग्रहण देखने के लिए आप दूरबीन या टेलिस्कोप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही इन चीजों को इस्तेमाल करते वक्त आपको किसी तरह के स्पेशल फिल्टर की भी जरूरत नहीं होती।
भारतीय समयानुसार चंद्रग्रहण सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर लगेगा और 9 बजकर 59 मिनट पर चंद्र ग्रहण अपने चरम पर होगा. दो घंटे 43 मिनट की अवधि तक रहने के बाद यह चंद्रग्रहण 11 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल भारत में नहीं लगेगा. वैसे भी उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं माना जाता है. इस लिए चंद्रग्रहण के सूतक काल का कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. यह चंद्र ग्रहण यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पैसिफिक और अंटार्टिका में दिखाई देगा।