बिहार विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझानों में एनडीए और महागठबंधन में जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है। आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन शानदार प्रदर्शन कर रहा है। महागठबंधन के इस प्रदर्शन का श्रेय पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव को दिया जा रहा है। इस चुनाव में तेजस्वी यादव को कई चुनावी रणनीतिकारों का साथ मिला है। खासकर, उनके राजनीतिक सलाहकार संजय यादव को बड़ा श्रेय दिया जा रहा है। मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले संजय यादव को तेजस्वी का दाहिना हाथ भी माना जाता है। संजय यादव और तेजस्वी की मुलाकात साल 2010 में हुई थी, तब तेजस्वी आईपीएल में थे।

संजय ने बनाई चुनावी रणनीति: मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बार विधानसभा चुनाव में आरजेडी के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने में संजय यादव ने अहम भूमिका निभाई है। एनडीए के जंगलराज के नारे की काट के तौर पर संजय यादव ने बेरोजगारी की समस्या को पेश किया। बेरोजगारी, कोरोना जैसे चुनावी मुद्दों पर महागठबंधन का चुनावी कैंपेन तय करने में संजय यादव का अहम योगदान रहा।

इसके अलावा विधानसभा चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बजाय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर केंद्रित रखने के पीछे भी संजय यादव का ही दिमाग‌‌ था। आरजेडी के बिहारी अस्मिता और युवाओं को 10 लाख नौकरी जैसे वादों ने चुनाव में खूब असर किया।

IT कंपनी में नौकरी छोड़ RJD की ज्वाइन: तेजस्वी के 37 वर्षीय राजनीतिक सलाहकार संजय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव के रहने वाले हैं। संजय ने दिल्ली से एमएससी‌ और एमबीए की पढ़ाई की है। वे एक आईटी कंपनी में नौकरी करते थे। तेजस्वी से मुलाकात के बाद नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ज्वाइन की थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में भी संजय यादव ने आरजेडी के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी।

इस बार विधानसभा चुनाव में संजय यादव ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आरजेडी की चुनावी रणनीति बनाई। कोरोना काल में जब विपक्ष आरजेडी पर निशाना साध रहा था, उस समय संजय यादव तेजस्वी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार कर रहे थे। ऐसे में अगर महागठबंधन चुनाव जीतता है तो निश्चित तौर पर संजय यादव की रणनीतियों को भी इसका श्रेय जाएगा।

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