सीजेआई ने कहा कि यह असुरक्षा उन्हें यौन शोषण, उत्पीड़न और हानिकारक प्रथाओं तथा अन्य गंभीर जोखिमों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बना देती है। सीजेआई ने कहा कि बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल उसके शरीर की रक्षा करना नहीं है, बल्कि उसकी आत्मा को मुक्त करना है।