प्रत्यूष राज (इंडियन एक्सप्रेस)

केले के लिए 35 लाख रुपए समेत भोजन और कैटरिंग (खानपान) के लिए 1.74 करोड़ रुपए से अधिक; दैनिक भत्तों के लिए 49.5 लाख रुपए; कोविड लॉकडाउन के दौरान खर्च किए गए 11 करोड़ रुपए; खिलाड़ियों के बकाया का भुगतान न करना; धूर्त चयन नीतियां, जबरन वसूली और मौत की धमकी। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू/उत्तराखंड क्रिकेट संघ) पर वित्तीय अनियमितता से लेकर खिलाड़ियों को डराने-धमकाने तक के आरोप हैं। इस मामले में पुलिस ने अपना शिकंजा कस लिया है।

भारत के एक पूर्व अंडर-19 क्रिकेटर के पिता द्वारा कथित जबरन वसूली और मौत की धमकी की एफआईआर दर्ज कराए जाने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने सीएयू सचिव माहिम वर्मा, टीम के मुख्य कोच मनीष झा और एसोसिएशन के प्रवक्ता संजय गुसाईं से पूछताछ की है।

देहरादून के एसएसपी जनमेजय खंडूरी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘पिछले तीन दिनों में हमने माहिम वर्मा, मनीष झा और संजय गुसाईं को अलग-अलग बुलाया है। हमने उनसे पूछताछ की है। हमने उनके बयान ले लिए हैं। यदि जरूरी हुआ तो यह प्रक्रिया फिर से अपनाई जाएगी।’

देहरादून के वसंत विहार पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धाराओं आपराधिक षड्यंत्र (120 बी), जानबूझकर चोट पहुंचाना (323), जबरन वसूली (384), जानबूझकर अपमान करना (504) और गैर-संज्ञेय अपराध (506) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

पूर्व अंडर-19 खिलाड़ी आर्य सेठी के पिता और शिकायतकर्ता वीरेंद्र सेठी ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे को पिछले साल विजय हजारे टूर्नामेंट के दौरान मनीष झा, टीम मैनेजर नवनीत मिश्रा और वीडियो विश्लेषक पीयूष रघुवंशी ने जान से मारने की धमकी दी थी।

इस संबंध में जब द इंडियन एक्सप्रेस ने खिलाड़ियों से बात की और रिकॉर्ड खंगाले तो पता चला कि उत्तराखंड क्रिकेट संघ (सीएयू) की 31 मार्च, 2020 की ऑडिट रिपोर्ट में भोजन-कैटरिंग के लिए 1,74,07,346 रुपए और दैनिक भत्ते के लिए 49,58,750 रुपए दिखाए गए हैं। इसमें केले के लिए 35 लाख रुपए और पानी की बोतलों के लिए 22 लाख रुपए शामिल हैं।

Jay Shah with Mahim Verma at Dehradun Stadium
देहरादून स्टेडियम में माहिम वर्मा के साथ जय शाह। (ट्विटर/जय शाह)

खिलाड़ी बकाया राशि का भुगतान नहीं करने या कम भुगतान की ओर इशारा करते हैं। (100 रुपए डीए के रूप में भुगतान किया जाता है, जबकि अनिवार्य राशि 1,500 रुपए है)। खिलाड़ियों का कहना है कि टूर्नामेंट और प्रशिक्षण शिविरों के दौरान भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

यहां काबिलेगौर है कि एसोसिएशन की लेखा-बहियों में इन मदों पर कुल कई लाख रुपए खर्च होते हैं, जैसे केले और पानी की बोतलें, कोरोना महामारी के दौरान भी। रॉबिन बिष्ट ने वीरेंद्र सेठी के आरोपों की पुष्टि की। रॉबिन बिष्ट उत्तराखंड टीम के लिए एक बाहरी पेशेवर हैं।

रॉबिन बिष्ट ने हाल ही में मुंबई के खिलाफ रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल से पहले की एक घटना को याद किया। रॉबिन बिष्ट ने बताया, ‘हम टीम होटल लौटे और पूल में हमारे रिकवरी सेशन के बाद, लंच (दोपहर के भोजन) के लिए गए। तब होटल के कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें हमें खाना परोसने से मना कर दिया।’

रॉबिन बिष्ट ने बताया, ‘होटल स्टॉफ ने हमसे कहा कि हमें खान नहीं परोसने के लिए कहा गया है। जब हमने टीम मैनेजर को फोन किया, तो उन्होंने जवाब दिया, स्विगी या जोमैटो से कुछ ऑर्डर कर लो या भूखे रहो। एक दिन खाना नहीं खाओगे तो मर नहीं जाओगे।’

उत्तराखंड ने मुंबई से 725 रन (विश्व रिकॉर्ड जीत का अंतर) से मैच गंवा दिया। रॉबिन बिष्ट ने बताया, ‘अगले दिन, हमारी दिल्ली के लिए एक फ्लाइट थी। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद, हमने फिर से अपने टीम मैनेजर को फोन करके कहा कि हमें देहरादून जाना है। हमारी बस कहां है? जवाब आया, कैब, बस या ट्रेन बुक करो। हमारा काम आप लोगों को दिल्ली पहुंचाना था, आपके घर नहीं।’

Independent MLA Umesh Kumar Uttarakhand Legislative Assembly
उत्तराखंड विधानसभा में निर्दलीय विधायक उमेश कुमार (बाएं) ने भी राज्य क्रिकेट संघ के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। (ट्विटर)

उत्तराखंड विधानसभा में निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भी राज्य क्रिकेट संघ के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उमेश कुमार ने बताया, ‘कोविड के दौरान, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने प्रोफेशनल फीस के तौर पर 6.5 करोड़ रुपए बांटे। मैं जानना चाहता हूं कि उन्होंने यह पैसा किसे दिया? मार्च 2020 से पहले प्रोफेशनल फीस लगभग 2.75 करोड़ रुपए थी। कोविड के दौरान 1.27 करोड़ रुपए का लंच और डिनर किसने किया? मैंने इसे उत्तराखंड सदन में भी उठाया था। मुझे लगता है कि बीसीसीआई को हस्तक्षेप करना चाहिए, यहां बहुत बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है।’

उत्तराखंड क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष संजय रावत और संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा ने भी सचिव माहिम वर्मा और अध्यक्ष जोत सिंह गंसोला पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है। उन्होंने राज्य क्रिकेट संघ के लोकपाल और एथिक्स ऑफिसर से दोनों की शिकायत की है।

संजय रावत ने बताया, ‘हमने बीसीसीआई को भी एक पत्र भेजा है। एथिक्स ऑफिसर ने माहिम वर्मा और जोत सिंह गंसोला को गुरुवार तक अपना जवाब देने को कहा है।’ बीसीसीआई के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बताया, ‘अभी यह एक राज्य संघ से संबंधित मामला है। अगर इसे 21 जुलाई को बीसीसीआई की शीर्ष परिषद की बैठक में उठाया जाता है, तब हम इस पर गौर करेंगे।’