कभी राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में सौरव गांगुली के खिलाफ गेंदबाजी करने वाले प्रकाश भगत अब अपने परिवार के लिए दो वक्त के भोजन का प्रबंधन करने के लिए दक्षिणी असम के सिलचर में एक फूड स्टॉल लगाते हैं। प्रकाश भगत की गिनती कभी असम के प्रमुख क्रिकेटर्स में होती थी। प्रकाश विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय टूर्नामेंट में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

34 वर्षीय बाएं हाथ के स्पिनर और दाएं हाथ के बल्लेबाज प्रकाश अब अपने छह सदस्यीय परिवार का पेट भरने के लिए सिलचर नगर बोर्ड के इटखोला में एक सड़क किनारे स्टाल पर ‘दाल पूरी’ बेचते हैं। उन्होंने असम टीम के सदस्य के रूप में 2009/10 और 2010/11 में रेलवे और जम्मू-कश्मीर की टीमों के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच खेले थे। पूर्व क्रिकेटर ने 2003 में बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में एक महीने का प्रशिक्षण भी लिया था।

मीडिया रिपोर्ट्स में भगत के हवाले से कहा गया है, भगत ने बताया, ‘एनसीए में प्रशिक्षण के दौरान, मैंने सौरव गांगुली को गेंदबाजी की। उस समय न्यूजीलैंड जाने वाली भारतीय टीम अकादमी में अभ्यास कर रही थी। उसी दौरान मुझे सौरव गांगुली के अलावा सचिन तेंदुलकर, जहीर खान, हरभजन सिंह और वीरेंद्र सहवाग से मिलने का मौका मिला था।’

भगत ने बताया, ‘मेरे पिता गजाधर भगत की 65 वर्ष की आयु में कार्डिक अरेस्ट के चलते मृत्यु हो गई थी। इस कारण मुझे 2011 में क्रिकेट छोड़ना पड़ा।’ भगत ने बताया, ‘दरअसल, मेरे पिता और बड़े भाई दीपक भगत चाट का ठेला लगाते थे। पिता की मृत्यु के बाद मेरे बड़े भाई भी बीमार रहने लगे।’ दीपक शादीशुदा हैं। उनके दो छोटे बच्चे भी हैं।

भगत ने कहा कि अगर असम क्रिकेट एसोसिएशन (एसीए) या अन्य कोई कोई संगठन उन्हें आर्थिक मदद देता है तो वह फिर से अपने क्रिकेट करियर को शुरू करना चाहेंगे। भगत ने कहा, ‘मैं क्रिकेट छोड़ने के बाद परिवार की आर्थिक मदद के लिए एक निजी मोबाइल कंपनी में नौकरी करने लगा, लेकिन कोविड-19 (Covid-19) महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने पिछले साल मेरी नौकरी भी छीन ली।’

भगत के क्रिकेट करियर की शुरुआत 1999 में सिलचर डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अंडर-13 टूर्नामेंट से हुई थी। उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अंडर-16, अंडर-19 और अंडर-23 श्रेणियों में कई टूर्नामेंट खेले। भगत ने बताया, ‘निचले स्तर के विभिन्न मैचों में लगातार अच्छे प्रदर्शन ने मुझे असम की रणजी ट्रॉफी टीम में जगह दिलाने में मदद की। मैं सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए चुनी गई टीम का भी हिस्सा था।’

उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे अपने परिवार के लिए वित्तीय मदद मिलती है तो मैं फिर से क्रिकेट के मैदान पर लौटने का इच्छुक हूं। मेरे कई पूर्व साथियों को विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों से सरकारी नौकरी या वित्तीय मदद मिली, लेकिन मुझे कुछ भी नहीं मिला।’ पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी और प्रसिद्ध क्रिकेट-प्रबंधक मणिमय रॉय ने कहा कि वित्तीय मदद की कमी के चलते पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई खिलाड़ियों को क्रिकेट छोड़ना पड़ा है।