साल 2005 और तारीख 5 अप्रैल (यानी आज) जब महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला शतक लगाया था। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापट्टनम में खेले गए छह मैच की सीरीज के दूसरे मुकाबले में 148 रनों की तेज-तर्रार पारी खेली थी। यह धोनी का पांचवां वनडे थे। इससे पहले उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ तीन वनडे में 0, 12 और नाबाद 7 रन बनाए थे। पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में 3 रन पर आउट हो गए थे। पांचवें वनडे में धोनी ने अपना जलवा दिखाया और पाकिस्तानी गेंदबाजों की धुनाई कर दी।
दरअसल, चार वनडे में फ्लॉप होने के बाद ऐसा लग रहा था कि धोनी टीम से बाहर हो जाएंगे। बांग्लादेश के खिलाफ ही शुरुआती तीन वनडे में खराब प्रदर्शन के बाद चयनकर्ता उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के लिए टीम में नहीं रखना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली के कहने पर उन्हें मौका दिया गया था। कोच्ची में खेले गए पहले वनडे में वे 3 रन पर आउट हो गए थे। विशाखापट्टनम में कप्तान गांगुली ने रिस्क लेते हुए उन्हें तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा।
गांगुली ने कहा था, ‘‘हम तेजी से रन बनाना चाहते थे। धोनी आक्रामक बल्लेबाजी करने वाला खिलाड़ी है।’’ धोनी खुद कई बार कह चुके हैं लगातार खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें लग रहा था कि टीम से बाहर हो जाएंगे। पाकिस्तान के खिलाफ शतकीय पारी ने उन्हें आत्मविश्वास दिया था। सचिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद धोनी मैदान पर पहुंचे थे। उन्होंने वीरेंद्र सहवाग के साथ दूसरे विकेट के लिए 96 रन की साझेदारी की थी। सहवाग 74 रन पर आउट हो गए थे।
धोनी ने इसके बाद राहुल द्रविड़ के साथ तीसरे विकेट के लिए 149 रन की साझेदारी की थी। उन्होंने 15 चौकों और 4 छक्कों की मदद से 123 गेंद पर 148 रन की पारी खेली थी। भारत ने 50 ओवर में 9 विकेट पर 356 रन बनाए थे। इसके बाद आशीष नेहरा की घातक गेंदबाजी की बदौलत भारत ने पाकिस्तान को 298 रनों पर समेट दिया था। नेहरा ने 4 विकेट लिए थे। धोनी ने अब तक वनडे में 350 मैच खेले हैं। पिछले साल हुए वर्ल्ड कप के बाद वे पेशेवर क्रिकेट नहीं खेले हैं।
