वर्ल्ड कप के मद्देनजर टीम इंडिया बल्लेबाजी में गहराई चाहती है। रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम चाहती है कि नंबर 8 तक बल्लेबाज हों। यही कारण है कि शार्दुल ठाकुर का टीम में चयन हुआ है। इसके कारण मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज में से एक ही गेंदबाज को प्लेइंग 11 में मौका मिलेगा। हालांकि, शार्दुल इस भूमिका में कितने सफल होंगे यह वक्त बताएगा, लेकिन एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच में वह बल्लेबाजी में कुछ खास नहीं कर पाए। फिर नेपाल के खिलाफ गेंदबाजी में यही हालत रही।
वर्ल्ड कप की ओर बढ़ते हुए शार्दुल ठाकुर को टीम इंडिया की सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा है। अगर टीम इंडिया को बल्लेबाजी में गहराई चाहिए तो टीम इंडिया पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की रणनीति अपना सकती है। गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया बल्लेबाजी को मजबूत करके चलती थी। केवल 4 विशेषज्ञ गेंदबाज के साथ उतरती थी। वर्तमान कोच राहुल द्रविड़ विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभालते थे। इस वजह से मोहम्मद कैफ, हेमंग बदानी और दिनेश मोंगिया जैसे खिलाड़ी नंबर 7 पर खेलते थे।
गांगुली के समय हार्दिक पांड्या जैसा ऑलराउंडर नहीं था
गांगुली के समय में हार्दिक पंड्या जैसा ऑलराउंडर भी नहीं था जिसे 5वें गेंदबाज के तौर इस्तेमाल किया जा सके। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह और दिनेश मोंगिया मिलकर 5वें गेंदबाज की कमी पूरी किया करते थे। वर्तमान टीम की बात करें गांगुली वाली रणनीति के साथ जाने पर हार्दिक पंड्या को 5वें गेंदबाज के तौर पर इस्तेमाल करना होगा, जिनका अब भी शार्दुल से ज्यादा ओवर करना लगभग तय है।
अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी बाहर बैठते थे
सौरव गांगुली की 7 बल्लेबाज और 4 गेंदबाज की रणनीति के कारण अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी को बाहर बैठना पड़ता था। 2003 वर्ल्ड कप के मुकाबलों में टीम इंडिया 4 विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ उतरती थी। नंबर 7 पर दिनेश मोंगिया बल्लेबाजी करने आते थे। दिनेश मोंगिया को गेंदबाजी के कारण ही वीवीएस लक्ष्मण पर तरजीह दी गई थी।
300 का स्कोर चेज करने में सफल हुई टीम इंडिया
2003 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की बैटिंग यूनिट में वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, युवराज सिंह,मोहम्मद कैफ और दिनेश मोंगिया थे। गेंदबाजी की बात करें तो पिच और विरोधी टीम के हिसाब से किसी मैच में 2 स्पिनर तो किसी में 3 पेसर्स खेलते थे। वर्ल्ड कप ही नहीं, नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 के फाइनल में भी जो टीम थी उसमें 7 बल्लेबाज खेले थे।
ये वही 7 बल्लेबाज थे, जिनके दम पर टीम इंडिया ने 325 का स्कोर हासिल कर लिया था। बल्लेबाजी में क्या गहराई थी इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 6 पर युवराज और 7 नंबर पर बल्लेबाजी के लिए कैफ आए थे। मोहम्मद कैफ जब बल्लेबाजी करने आए तब टीम इंडिया का स्कोर पांच विकेट पर 146 रन था।
पाकिस्तान दौरे पर भी मिला फायदा
2004 में पाकिस्तान दौरे पर टीम इंडिया 7 बल्लेबाज के साथ हर मैच में उतरी और सीरीज 3-2 से जीती। भारत ने 2 मैच में 300+ का स्कोर बनाया। एक में 295 का टारगेट चेज किया। आखिरी मैच में 293 का स्कोर खड़ा किया। पाकिस्तान के पास शोएब अख्तर और मोहम्मद समी जैसे गेंदबाज थे। 7 बल्लेबाज खिलाने से गेंदबाजी कमजोर होती थी, लेकिन जो 20-25 रन अधिक बनते थे उसे बल्लेबाजी में 30-40 रन अधिक बनाकर पूरा कर लिया जाता था। अब भी ऐसा हो सकता है। टीम इंडिया को 6 बल्लेबाज, 2 ऑलराउंडर और 3 गेंदबाज के साथ उतरना चाहिए।
2011 वर्ल्ड कप में भी टीम इंडिया का यही फार्मूला था
2011 वर्ल्ड में टीम इंडिया जब चैंपियन बनी तो प्लेइंग 11 में सिर्फ 4 विशेषज्ञ गेंदबाज होते थे। 5वें गेंदबाज की कमी युवराज सिंह पूरी करते थे। बल्लेबाज के तौर पर युवराज का कोई मुकाबला नहीं था। उन्होंने टूर्नामेंट में बतौर गेंदबाज भी शानदार प्रदर्शन किया था। बल्लेबाजी में गहराई होने का फायदा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल और पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में मिला। नंबर 7 पर बल्लेबाजी करने वाले सुरेश रैना का दोनों मैच में अहम योगदान रहा था।
रविंद्र जडेजा 8 पर आएंगे
बल्लेबाजी में गहराई चाहिए तो 2023 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया इसी फार्मूले पर चल सकती है। बल्लेबाजी की बात करें रोहित शर्मा, शुभमन गिल और विराट कोहली का नंबर फिक्स है। मिडिल ऑर्डर में श्रेयस अय्यर, केएल राहुल, इशान किशन और सूर्यकुमार यादव में से किसी 3 को मौका दें। संभवत: राहुल और इशान में किसी एक का चयन करना होगा। अगर सूर्यकुमार यादव 6 पर आते हैं तो हार्दिक पंड्या 7 और रविंद्र जडेजा 8 पर आएंगे।
सूर्यकुमार को फ्लोटर की तरह इस्तेमाल करें
इसके बाद कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज में से कोई एक खिलाड़ी। सूर्यकुमार यादव को फ्लोटर की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे वास्तव में टीम की बल्लेबाजी में गहराई आ जाएगी। हालांकि, गेंदबाजी थोड़ी कमजोर होगी। इससे हार्दिक पांड्या पर हर मैच में 10 ओवर करने का दबाव होगा।
टीम इंडिया में कामचलाऊ गेंदबाजों की कमी
अगर हार्दिक पंड्या फिट हैं तो उन्हें 10 ओवर गेंदबाजी करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम इंडिया में कामचलाऊ यानी पार्ट टाइम गेंदबाजों की कमी है। रोहित शर्मा और विराट कोहली को विकल्प बनने की कोशिश करनी चाहिए। जरुरत पड़ने पर दोनों 5-6 ओवर भी कर दें तो टीम की बात बन सकती है।
हो सकता है टीम इंडिया के खिलाफ 325 का स्कोर बन जाए, लेकिन नंबर 8 पर रविंद्र जडेजा आएंगे तो यह स्कोर चेज करना संभव होगा। शार्दुल ठाकुर को खिलाकर टीम 25-50 रन की आस में है। वह 100-120 भी स्कोर करने में सक्षम होंगे। ऐसा नहीं है कि शार्दुल ठाकुर के रहने से स्कोर कम बनेगा। हालांकि, शार्दुल ठाकुर रन रोकने वाले गेंदबाज तो हैं नहीं।
क्या होनी चाहिए टीम इंडिया की प्लेइंग 11
रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल/इशान किशन, सूर्यकुमार यादव, हार्दिक पंड्या, रविंद्र जडेजा, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी/मोहम्मद सिराज।