पाकिस्तान गुरुवार को श्रीलंका से मिली हार के बाद एशिया कप से बाहर हो गया। पाकिस्तान ने श्रीलंका के साथ मिलकर इस टूर्नामेंट की मेजबनी की थी। श्रीलंका तो फाइनल में पहुंच गया लेकिन पाकिस्तान का सफर सुपर-4 में ही खत्म हो गया। इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान की शुरुआत तो जबरदस्त थी लेकिन नॉकआउट आते-आते उसकी हालत पतली हो गई। टीम की सबसे बड़ी ताकत उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनती नजर आई।

एशिया कप के शुरुआती मैचों में पाकिस्तानी तेज गेंदबाजों था कहर

पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों को उनकी सबसे बड़ी ताकत माना जाता है। आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि पाकिस्तान को जीत दिलाने में उसके तेज गेंदबाजों का अहम रोल रहता है। एशिया कप के पहले तीन मैचों में पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों ने 24 विकेट लिए थे। शाहीन अफरीदी, नसीम शाह और हासिर रऊफ के सामने टिकना किसी भी बल्लेबाज के लिए बहुत मुश्किल नजर आ रहा था।

भारत-श्रीलंका के खिलाफ खुली पोल

सुपर-4 आते -आते यह स्थिति बदल गई। बांग्लादेश के खिलाफ सुपर-4 के पहले मैच में पाकिस्तान ने सात विकेट से जीत हासिल की थी। इस मैच में बांग्लादेश के 10 के 10 विकेट पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों ने लिए थे। यह मुकाबला लाहौर में खेला गया था। कोलंबो आते ही पाकिस्तान के रंग-ढंग बदल गए। भारत और श्रीलंका के खिलाफ सुपर-4 के बचे हुए दो मुकाबलों में पाकिस्तानी तेज गेंदबाज केवल तीन ही विकेट ले सके। यह तीनों विकेट शाहीन अफरीदी ने ही लिए।

श्रीलंका की गुगली पर बोल्ड हुआ पाकिस्तान

श्रीलंका के खिलाफ करो या मरो के मैच में पाकिस्तानी बल्लेबाज स्पिन के शिकार बने। पूरी पाकिस्तानी टीम श्रीलंका के स्पिनर्स की गेंदों पर आउट हुई। बल्लेबाजों को स्पिन गेंदबाजी खेलने में परेशानी हो रही थी। वर्ल्ड कप से पहले यह बाबर आजम के लिए चिंता का विषय है। जिस तेज गेंदबाजी के दम पर वह वर्ल्ड कप जीतने की बात कर रहे हैं वह एशिया में ही फ्लॉप होती नजर आ रही है। भारतीय पिचें भी स्पिन फ्रेंडली होती है,ऐसे में अगर पाकिस्तानी गेंदबाज यहां भी फ्लॉप रहते हैं तो यह बाबर आजम के लिए परेशानी का सबब होगा जो कि अपने तेज गेंदबाजों को टीम की रीढ़ की हड्डी मानते हैं।