इंग्लैंड को एक पारी और दे दो यानी 10 विकेट और बल्लेबाजी करने के लिए दे दो तो भी वह 482 रन का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगा। उसके पास पिच खेलने की काबिलियत नहीं है। महान क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का यही मानना है। समाचार चैनल आज तक से बातचीत में सुनील गावस्कर ने कहा, ‘इस समय इंग्लैंड के पास एक ही बंदा है, जिसके पास चेन्नई की पिच पर खेलने की काबिलियत है। वह है जो रूट, लेकिन फिर भी मैं नहीं मानता हूं कि वह इतनी अच्छी बल्लेबाजी करेगा कि इंग्लैंड की टीम 482 रन तक पहुंचे।’
सुनील गावस्कर ने कहा, ‘वह पहले ही यह मैच हार गए थे, जब उन्होंने पहले दिन यह देखा कि गेंद थोड़ी सी घूम रही है। उसी वक्त उनके मन में यह शंका पैदा होने लगी कि इस पिच पर हम कैसे खेलेंगे, क्या कर सकते हैं। अश्विन ने दिखाया, विराट कोहली ने दिखाया। कभी-कभी पिच अच्छा होता है तो हम यह कह सकते हैं, लेकिन पहले दिन भी अगर गेंद घूम रही थी तो जिस तरह से रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे ने बल्लेबाजी की। उनके बाद ऋषभ पंत ने जो फटाफट छक्के लगाए, तो इस पिच पर मुश्किल तो जरूर है, लेकिन यह ऐसा नहीं है कि यहां बल्लेबाजी करना नामुमकिन है। यदि आप कदमों का अच्छा इस्तेमाल करें, आपके पास अच्छी सही तकनीक हो, तो फिर आप इस पिच पर रन कर सकते हैं।’
गावस्कर ने कहा, ‘यह जो सब चर्चा हो रही है उसे हम भूल जाएं तो अच्छा है।’ पिच को ब्लेम (खराब होने की बात कहना) करने को लेकर गावस्कर ने कहा, ‘यह तो उनका तरीका है न भई। वह जब भी क्रिकेट खेलते हैं तो आपने देखा होगा कि या तो उनकी मीडिया या उनके पूर्व क्रिकेटर्स, वे सिर्फ शिकायत करते रहते हैं, कि यह वो, यह वो।’
गावस्कर ने कहा, ‘देखिए जब इंग्लैंड में हरी पिच होती है, जहां पर बॉल सीम होता है, स्विंग होता है, बाकी की टीम 40-50 पर आउट होती हैं, जैसे 2-3 साल पहले ट्रेंटब्रिज पर स्टुअर्ट ब्रॉड ने 8 विकेटें ली थीं, जहां ऑस्ट्रेलिया 46 के आसपास ऑलआउट हो गया था। तब किसी ने पिच के बारे में कुछ कहा नहीं।’
गावस्कर ने कहा, ‘हमारी टीम जब जाती है इंग्लैंड तो क्या उनको पटरा विकेट्स मिलते हैं? नहीं ना, तब क्या हमारी टीम शिकायत करती है। हम लोग मानते हैं कि जब आप परदेश जाएंगे तो स्थितियां अलग होंगी। पिचें अलग होंगी। उसका सामना करना पड़ेगा। अगर अच्छी तरह से सामना करेंगे तो मैच जीत पाएंगे या बचा पाएंगे। यहां पर पहले दिन से ही इंग्लैंड की टीम का सिर नीचे था।’