इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2022 का 34वां 22 अप्रैल को मुंबई के वानखेडे़ स्टेडिय में दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच खेला गया। इस मैच के आखिरी ओवर में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। ऋषभ पंत जहां अपने बल्लेबाजों को मैच छोड़कर मैदान से बाहर बुलाते दिखे वहीं, अंपायर भी नितिन मेनन नो-बॉल चेक करने को राजी नहीं दिखे। अंपायर के नो बॉल न देने के फैसले से दिल्ली कैपिटल्स का पूरा खेमा काफी नाराज और गुस्से में था। हालांकि, दिल्ली कैपिटल्स के सहायक कोच शेन वॉटसन (Shane Watson) के समझाने के बाद ऋषभ शांत हुए।
मैच के बाद शेन वॉटसन ने अपनी ही टीम को फटकार लगाई है। वॉटसन ने मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, आखिर में जो कुछ भी हुआ, दिल्ली कैपिटल्स उसका सपोर्ट नहीं करती है। उन्होंने पूरे मामले पर खेद व्यक्त किया। वॉटसन ने कहा, हमें अंपायर के फैसले को स्वीकार करना होगा, चाहे वह सही हो या नहीं। विवाद के बीच दिल्ली कैपिटल्स के बल्लेबाजी कोच प्रवीण आमरे मैदान में घुसकर अंपायर से बहस करने लगे। वॉटसन ने इस पर कहा कि अगर कोई मैदान में घुसता है तो यह सही नहीं है।
उधर, ऋषभ पंत ने कहा कि मैच के अंतिम ओवर में कमर से ऊपर की गई फुलटॉस के लिए तीसरे अंपायर को हस्तक्षेप करना चाहिए था, क्योंकि यह उनकी टीम के लिए अहम साबित हो सकता था। पंत से जब मैच के बाद उस घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि वह नोबॉल हमारे लिए कीमती साबित हो सकती थी। मुझे लगता है कि यह पता किया जाना चाहिए था कि वह नोबॉल है या नहीं लेकिन यह मेरे नियंत्रण में नहीं है।’
पंत ने कहा, ‘हां, निराशाजनक रहा लेकिन इसमें मैं बहुत कुछ नहीं कर सकता था। हर कोई निराश है। मैदान में सभी ने देखा कि यह करीबी नहीं बल्कि नोबॉल थी। मुझे लगता है कि तीसरे अंपायर को हस्तक्षेप करना चाहिए था और बताना चाहिए था कि यह नोबॉल है, लेकिन मैं स्वयं के लिये नियम नहीं बदल सकता।’
ऋषभ पंत से पूछा गया कि क्या नोबॉल को लेकर बहस करने के लिए टीम प्रबंधन के सदस्य को मैदान पर भेजना सही था, उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर यह सही नहीं था, लेकिन हमारे साथ जो कुछ हुआ वह भी सही नहीं था। मुझे लगता है कि यह दोनों पक्ष की गलती थी, क्योंकि पूरे टूर्नामेंट के दौरान हमने अच्छी अंपायरिंग देखी है।’
राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन ने कहा, ‘उस गेंद पर छक्का लग सकता था, यह फुलटॉस थी। अंपायर ने इसे सामान्य गेंद करार किया था। लेकिन बल्लेबाज इसे ‘नोबॉल’ देने की मांग कर रहे थे। अंपायर ने हालांकि अपना फैसला स्पष्ट कर दिया था और वह इस पर अडिग रहे।’