ऋषभ पंत हर विदेश दौरे के बाद जूनियर्स को दे देते हैं अपना किट बैग, इंटरव्यू में बताया कारण
ऋषभ पंत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 274 रन बनाए। तीन टेस्ट मैचों की पांच पारियों में दो अर्धशतक लगाए। उन्होंने ब्रिस्बेन टेस्ट में नाबाद 89 रन बनाकर टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी।

भारतीय विकेटकीपर ऋषभ पंत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद टीम इंडिया के नए हीरो बन गए हैं। पंत ने चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 274 रन बनाए। तीन टेस्ट मैचों की पांच पारियों में दो अर्धशतक लगाए। उन्होंने ब्रिस्बेन टेस्ट में नाबाद 89 रन बनाकर टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी। अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए प्रसिद्ध पंत दिल से भी उतने ही साफ और दयालु हैं। वे हर विदेशी दौरे के बाद अपना किट बैग जूनियर्स को देते हैं। इस बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया।
पंत ने इंडिया टुडे ग्रुप को दिए इंटरव्यू में इस बारे में कहा, ‘‘मैं कॉन्ट्रेक्ट मिलने के बाद से ऐसा कर रहा हूं। तारक सर मुझे बैटिंग, कीपिंग से जुड़े सामान देते थे। जूते और बैट देते थे। आशीष भैया (आशीष नेहरा) क्लब में बहुत सारा समान देकर जाते थे। रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी भी ऐसा करते थे। इससे मुझे काफी मदद मिली। यह उनके लिए ज्यादा नहीं था। बाद में मुझे लगा कि अगर इससे किसी को मदद मिलती है तो मुझे भी मदद करनी चाहिए। पहले मदद ले रहा था। अब मैं उस स्थिति में हूं कि दूसरों को मदद कर सकूं। मुझे इस बारे में किसी को बताने की जरुरत नहीं है। जब आप कोई काम करते हैं तो अपनी इच्छा से करते हैं।’’
पंत ने विफलताओं का सामना करने के सवाल पर कहा, ‘‘अगर आप टॉप लेवल पर खेलते हैं तो यह रोज होता है। यह इसका एक हिस्सा है। आपको अपने आप पर विश्वास रखना होता है। मेरे आसपास कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने मुझे खुद पर विश्वास रखना सिखाया है। हमेशा आगे बढ़ने के लिए कहा है। खुद पर ज्यादा फोकस रखने के लिए कहा है। अब मैंने खुद को सोशल मीडिया से दूर रखा है। इन सब चीजों पर ध्यान नहीं देकर मैं सिर्क क्रिकेट पर ध्यान देता हूं। आलोचनाएं होती रहती हैं।’’
सिडनी टेस्ट के बारे में पंत ने कहा, ‘‘अगर मैं आधा घंटा और खेल लेता तो हम मैच जीत सकते थे। जब 97 पर आउट हुआ तो शतक चूका ही और जीत भी फिसल गई। वहां से मैंने सीखा कि अगर अगली बार ऐसे अवसर आते हैं तो मैं समझारी से खेलूंगा। उस मौके को भूनाऊंगा। भारतीय टीम का बेस्ट पार्ट ये है कि सभी एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं। कप्तान, कोच और खिलाड़ी सबके ऊपर विश्वास करते हैं।’’