नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम पर दबाव में बिखरने के आरोप लगातार लगते रहे हैं लेकिन पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का मानना है कि वर्तमान टीम पहले की तुलना में अब मुश्किल परिस्थितियों से उबरने में अधिक सक्षम है।
गांगुली ने कहा, ‘‘हम 2003 में रिकी पोंटिंग की अगुवाई वाली सर्वश्रेष्ठ ऑस्ट्रेलियाई टीम से हार गये थे लेकिन आज भारतीय टीम दबाव में नहीं बिखरेगी। ’’
उन्होंने 2003 के एकतरफा फाइनल की याद करते हुए कहा कि भारतीय टीम का कप्तान पद संभाला मुश्किल काम है क्योंकि टीम से काफी अपेक्षाएं की जाती हैं।
गांगुली ने कल यहां आज तक के कार्यक्रम सलाम क्रिकेट में कहा, ‘‘जोहानिसबर्ग की हार के बाद हमारे ऊपर पत्थर फेंके गये। हम भारतीय दबाव में अच्छा खेलते हैं लेकिन हमें उसके साथ जीना सीख रहे हैं।’’
आगामी विश्व कप में दबाव के बारे में बात करते हुए 1987 विश्व कप विजेता ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान एलन बोर्डर ने कहा कि 50 ओवरों की क्रिकेट से खास तरह का दबाव जुड़ा हुआ है।
बोर्डर ने कहा, ‘‘क्रिकेट के इस सबसे बड़े टूर्नामेंट में हर चार साल में आपको अपना कौशल, प्रतिभा और जज्बा दिखाने को मौका मिलता है। ’’
उन्होंने कहा कि भारत पर 2011 की सफलता दोहराने का दबाव रहेगा क्योंकि यहां क्रिकेट को लेकर काफी जुनून है।
वेस्टइंडीज की 1975 और 1979 की विश्च चैंपियन टीम के कप्तान क्लाइव लायड ने कहा कि जब वह कैरेबियाई द्वीपों की संस्कृति और सपनों का प्रतिनिधित्व करते थे तो दबाव महसूस करते थे।
यड ने कहा, ‘‘दबाव हमेशा रहता है। हमारी टीम में विभिन्न द्वीपों और विभिन्न संस्कृतियों के खिलाड़ी होते है। इंग्लैंड एक देश है। भारत एक देश है। वेस्टइंडीज में लोगों को एकजुट करना बहुत मुश्किल होता है। आप अलग अलग लोगों का प्रतिनिधित्व करते हो। ’’
भारत के हाथों 1983 के फाइनल की हार के बारे में लायड ने कहा, ‘‘जो भी बेहतर खेलेगा वह जीतेगा। भारत अच्छा खेला और उसने खिताब जीता। ’’
श्रीलंका की 1996 की चैंपियन टीम के कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने कहा कि भारत की तुलना में उनके देश के लोग क्रिकेट को धर्म नहीं बल्कि खेल के रूप में लेते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जो भी टीम दबाव में अच्छा खेलती है, उसकी जीत की संभावना अधिक रहती है। मैंने 1975 से यही देखा है। ’’
रणतुंगा ने हालांकि स्वीकार किया कि कभी ऐसे अवसर भी आते हैं जबकि आप पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व कप 1996 के फाइनल में सीनियर खिलाड़ियों पर कुछ अधिक दबाव था क्योंकि वह श्रीलंकाई दर्शक अधिक थे और पाकिस्तानी भी हमारा समर्थन कर रहे थे। इसकी तुलना में ईडन गार्डन्स में सेमीफाइनल में एक लाख दर्शक पूरी तरह से भारत का समर्थन कर रहे थे। ’’