भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर सियासत गरमा गई है। सौरव गांगुली को लगातार दूसरी बार बीसीसीआई अध्यक्ष बनाने को तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भाजपा (BJP) आमने-सामने हैं। तृणमूल कांग्रेस ने जहां इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। टीएमसी ने सवाल उठाया कि यदि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह दूसरे कार्यकाल के लिए बीसीसीआई के सचिव पद पर बने रह सकते हैं, तो गांगुली दोबारा अध्यक्ष क्यों नहीं बन सकते।

वहीं, भाजपा ने आरोपों को निराधार बताया है। भाजपा ने कहा कि उसने कभी भी गांगुली को पार्टी में शामिल करने की कोशिश नहीं की। साथ ही सवाल उठाया है कि क्या तृणमूल कांग्रेस ने गांगुली को बीसीसीआई का अध्यक्ष बनवाया था?

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा ने पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश की थी कि सूबे में लोकप्रिय गांगुली पार्टी में शामिल होंगे। उन्होंने कहा, ‘हम इस मामले में सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, लेकिन चूंकि भाजपा ने चुनाव के दौरान और बाद में इस तरह का प्रचार किया।’

उन्होंने कहा, ‘ऐसे में निश्चित रूप से भाजपा की जिम्मेदारी होगी कि वह ऐसी अटकलों पर जवाब दे (क्या गांगुली को बीसीसीआई प्रमुख के रूप में दूसरा कार्यकाल नहीं मिलने के पीछे राजनीति है)। ऐसा लगता है कि भाजपा सौरव को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही है। ‘भाजपा के एक बड़े नेता’ इस साल मई में गांगुली के घर रात्रि भोज के लिए गए थे।’

तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य डॉ. शांतनु सेन ने भी इस संबंध में एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, यह राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है। गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र बीसीसीआई के सचिव बने रह सकते हैं। सौरव गांगुली क्योंकि भाजपा में शामिल नहीं हुए और वह ममता बनर्जी के राज्य से हैं, इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। हम आपके साथ हैं दादा!

आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने इसे ‘निराधार’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि भाजपा ने सौरव गांगुली को पार्टी में शामिल करने की कोशिश कब की। सौरव गांगुली एक दिग्गज क्रिकेटर हैं। कुछ लोग अब बीसीसीआई में बदलाव पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।’

दिलीप घोष ने कहा, ‘सौरव गांगुली ने जब बीसीसीआई (BCCI) अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था, तो क्या उसमें उनकी (तृणमूल कांग्रेस) कोई भूमिका थी? टीएमसी को हर मुद्दे का राजनीतिकरण करना बंद करना चाहिए।’