मनोज चतुर्वेदी
संयुक्त अरब अमीरात में चल रहे, टी-20 विश्व कप में नामीबिया पर जीत के साथ भारतीय अभियान की समाप्ति हो गई। इसक साथ ही टीम इंडिया के मुख्य कोच रवि शास्त्री के कार्यकाल पर भी विराम लग गया। रवि शास्त्री ने विराट एंड कंपनी के साथ 2017 में अपनी इस पारी की शुरूआत की। इस दौरान उन्होंने तमाम उपलब्धियां हासिल कीं। लेकिन रवि शास्त्री को एक कोच के तौर पर कोई भी आइसीसी ट्राफी नहीं जीत पाने का मलाल हमेशा रहेगा। यह सही है कि किसी भी टीम के लिए आॅस्ट्रेलिया से उसके घर में टैस्ट सीरीज जीतना किसी भी आइसीसी ट्राफी जीतने से कम नहीं है और यह कारनामा उनके कार्यकाल में टीम इंडिया ने दो बार दोहराया।
रवि शास्त्री को टीम इंडिया के चार साल तक कोच रहने के दौरान तीन बार आइसीसी ट्राफी जीतने का मौका मिला पर हर बार उन्हें नाकामी मिली। शास्त्री के कोच बनने के बाद भारत 2019 के आइसीसी विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार गया। इस साल पहली विश्व टैस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में न्यूजीलैंड से हार गया। मौजूदा टी-20 विश्व कप में तो भारत सेमी फाइनल में ही स्थान नहीं बना सका। हम सभी जानते हैं कि आइसीसी ट्राफियों को जीतना एक अलग ही बात होती है। यही वजह है कि भारत के सफलतम कप्तानों की जब भी बात चलती है तो सबसे पहले कपिलदेव और महेंद्र सिंह धोनी का ही नाम आता है।
शास्त्री ने मौजूदा टी-20 विश्व कप में सुपर 12 का अपना आखिरी मैच नामीबिया से खेलने से पहले कहा था कि मैं मेरा स्थान लेने वाले कोच राहुल द्रविड़ को टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए शुभकामनाएं देता हूं। अच्छी बात यह है कि द्रविड़ को बदलाव के दौर से गुजरने वाली टीम नहीं मिली है। यह टीम पहले से ही महान है। इस टीम के ज्यादातर खिलाड़ी अभी तीन-चार साल खेल सकते हैं। मुझे भरोसा है कि द्रविड़ का अनुभव टीम को और आगे ले जाएगा। एक अच्छी बात यह है कि द्रविड़ टीम इंडिया के ज्यादातर खिलाड़ियों के साथ पहले से जुड़े रहे हैं, इसलिए उन्हें काम करने में शायद ही कोई दिक्कत हो।
हम सभी जानते हैं कि 2017 की चैंपियंस ट्राफी के फाइनल में भारत के पाकिस्तान से हारने के बाद कप्तान विराट कोहली के तत्कालीन कोच अनिल कुंबले से मतभेद सामने आने के बाद ही रवि शास्त्री की मुख्य कोच के पद पर नियुक्ति हुई। उनकी पहली बड़ी परीक्षा 2019 के विश्व कप में हुई। भारत जिस अंदाज में ग्रुप के सभी मैच जीतकर सेमीफाइनल में पहुंचा, उससे लग रहा था कि इस बार उनका चैंपियन बनने का सपना जरूर साकार हो जाएगा। लेकिन न्यूजीलैंड ने एक बार फिर एकजुट प्रदर्शन से भारत को मात देकर आइसीसी मुकाबलों में अपनी श्रेष्ठता को बनाए रखा। इसके बाद विश्व टैस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में हारने के बाद शास्त्री की विदाई तय हो गई थी। इसकी वजह बीसीसीआइ ऐसा कोच चाहता था कि जो आइसीसी ट्राफी को जिता सके।