Next Congress Chief: राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनने के अपने संकल्प पर कायम हैं। सोनिया गांधी की तबीयत पिछले कुछ समय से लगातार खराब रही है। इस बीच कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने बताया है कि रविवार की बैठक में चुनाव की तारीख तय की जाएगी। सोनिया गांधी की तबीयत खराब होने के कारण बैठक राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा की अध्यक्षता में होगी।
सीडब्ल्यूसी का यह बयान मंगलवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सोनिया गांधी की मुलाकात के बाद आया। ऐसे में अटकलें तेज हैं कि क्या गहलोत देश की सबसे पुरानी को लीड करने वाले हैं? क्या उनके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचना आसान होगा?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत के सामने पार्टी अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव रखा है। सोनिया गांधी इलाज के लिए विदेश जा रही हैं और चाहती हैं कि अशोक गहलोत जिम्मेदारी संभालें।
आसान नहीं होगा रास्ता!
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अगर अशोक गहलोत नेहरू-गांधी परिवार की पसंद के रूप में सामने आते हैं, तब भी शीर्ष पद के लिए प्रतियोगिता की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। अगर 71 वर्षीय गहलोत गांधी परिवार के स्पष्ट समर्थन के साथ अपना नामांकन दाखिल करते हैं, तो जी-23 उन्हें चुनौती देने के लिए उम्मीदवार खड़ा कर सकता है।
सोनिया ने कथित तौर पर राजस्थान के सीएम से पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए कहा। कहा जाता है कि गहलोत अनिच्छुक हैं क्योंकि पार्टी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने की स्थिति में उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ सकता है।
गहलोत कांग्रेस के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकते हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि गांधी परिवार के बाहर से किसी व्यक्ति के शीर्ष पद पर चुनकर जाने से कांग्रेस पर वंशवाद का हमला थोड़ा होगा।
पिछले 24 साल से लगातार गांधी परिवार का ही कोई व्यक्ति इस पद पर आसीन रहा है। हालांकि आलोचक इसे दूसरी तरह से देख रहे हैं। उनका मानना है कि गहलोत गांधी परिवार की पसंद हैं। उनसे राहुल गांधी को कई खतरा नहीं है। वह गांधी परिवार के संरक्षक से अधिक कुछ साबित नहीं होंगे।
गहलोत की संभावित उम्मीदवारी को सकारात्मक रूप से देखने वालों को मानना है कि गहलोत एक ओबीसी नेता हैं और भाजपा ओबीसी समुदाय के मतदाताओं को लुभाने का हर संभव प्रयास कर रही है। गहलोत के पास अतीत में कई राज्यों और संगठन के प्रभारी महासचिव के रूप में काम करने का संगठनात्मक अनुभव है।
सचिन पायलट के लिए साफ होगा रास्ता
गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सत्ता के संघर्ष का भी निदान हो पाएगा। बताया जाता है कि राहुल और प्रियंका ने गहलोत के प्रतिद्वंदी सचिन पायलट को आश्वासन दिया था कि उन्हें विधानसभा चुनाव से एक साल पहले सीएम बनाया जाएगा। गहलोत को दिल्ली आने से पायलट के लिए रास्ता साफ हो जाएगा।
हालांकि जी-23 के सूत्रों ने गहलोत के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की संभावना से इनकार नहीं किया है। पिछली बार सही मायने में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 2001 में हुआ था, जब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ा था और बुरी तरह हार गए थे। सन् 2000 के बाद से सोनिया और फिर राहुल को कभी किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।
सूत्रों का कहना है कि गुलाम नबी आजाद का जम्मू-कश्मीर में अभियान समिति की अध्यक्षता को छोड़ना और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए संचालन समिति के प्रमुख के रूप में आनंद शर्मा का इस्तीफा भविष्य की प्रतियोगिता के संकेत हैं। सवाल है कि जी-23 का उम्मीदवार कौन होगा? सूत्रों ने कहा कि आजाद इच्छुक नहीं हैं। शर्मा की भी कथित तौर पर दिलचस्पी नहीं है।
हालांकि कुछ नेताओं ने कहा कि यह शशि थरूर या मनीष तिवारी हो सकते हैं, जो पार्टी के मुखर और सौम्य स्वभाव वाले सांसद हैं। ये दोनों पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।