प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर 5 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Vande Bharat Express Train) को हरी झंडी दिखाई। इसके साथ ही अब कुल वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की संख्या 23 हो गई है। प्रधानमंत्री के वादे के मुताब‍िक 15 अगस्‍त, 2023 तक देश में 75 वंदे भारत ट्रेनें चलाई जानी हैं। इसल‍िए ट्रेनें लॉन्‍च करने की स्‍पीड तेज है, लेक‍िन इन ट्रेनों की औसत स्‍पीड बढ़ाने का काम सुस्त है। ये सेमी हाई स्‍पीड ट्रेनें हैं। अध‍िकतम 160 क‍िलोमीटर प्रत‍ि घंटा की क्षमता वाली। लेक‍िन, इनकी औसत गत‍ि सौ से भी कम है।

27 जून को लॉन्‍च की गई ट्रेनों में से एक की औसत स्‍पीड तो महज 64 क‍िलोमीटर प्रत‍ि घंटा है। कई और ट्रेनों का भी यही हाल है। नीचे टेबल में व‍िस्‍तार से देख सकते हैं।           

ये पांच वंदे भारत ट्रेनें हुईं शुरू

मंगलवार को जो वंदे भारत ट्रेन शुरू हुई हैं वो भोपाल से जबलपुर, खजुराहो से इंदौर, मडगांव से मुंबई, धारवाड़ से बेंगलुरु और रांची से पटना के बीच चलेंगी। वंदे भारत ट्रेन का नेटवर्क भले ही तेजी से बढ़ रहा हो लेकिन स्पीड के मामले में यह ट्रेन किसी भी रूट पर पिछले 5 साल में, उस लिमिट के आसपास भी नहीं पहुंच पाई है जो रेलवे ने तय की है।

कहां, किस रूट पर कितनी मैक्सिमम स्पीड?

साल 2019 में नई दिल्ली से पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीच पहली वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat) की शुरुआत हुई थी। उसके बाद 27 जून यानी मंगलवार तक कुल 23 रूट पर यह ट्रेन चलने लगी है। केवल दिल्ली-भोपाल रूट पर ट्रेन की मैक्सिमम स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है। अन्य 22 रूट पर वंदे भारत की अधिकतम स्पीड 110 से 130 किमी/प्रति घंटे ही तय की गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि 23 में से क‍िसी भी रूट पर यह ट्रेन सौ की औसत गत‍ि से भी नहीं चल पा रही है। 

वंदे भारत की औसत स्पीड 100 भी नहीं

उदाहरण के लिए दिल्ली-भोपाल रूट की बात करें, जहां मैक्सिमम स्पीड 160 है, इस रूट पर वंदे भारत की औसत स्पीड 94 किमी प्रति घंटा है। इसी तरह दिल्ली से वाराणसी रूट पर अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटे रखी गई है, लेकिन वंदे भारत की औसत रफ्तार 96 किलोमीटर प्रति घंटा है। अब 27 जून को जो वंदे भारत शुरू हुई हैं, उनकी बात करें तो रांची से पटना रूट पर मैक्सिमम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटे है, लेकिन इसी रूट पर वंदे भारत की औसत रफ्तार अब तक के सभी 23 रूट में सबसे खराब है। यहां एवरेज स्पीड 63 किलोमीटर प्रति घंटे तक ही है।

किस रूट पर फिसड्डी?

कुछ रूट पर तो वंदे भारत की औसत रफ्तार राजधानी, शताब्दी और दूसरी एक्सप्रेस ट्रेनों से भी खराब है। उदाहरण के तौर पर आनंद विहार से देहरादून रूट पर 130 की मैक्सिमम स्पीड के बावजूद वंदे भारत की औसत स्पीड 64 किलोमीटर प्रति घंटे ही है। मुंबई-शिरडी रूट पर मैक्सिम स्पीड 110 है, जबकि औसत स्पीड 64 है। मुंबई से सोलापुर के बीच वंदे भारत की मैक्सिमम स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटे है, लेकिन औसत स्पीड 70 किलोमीटर प्रति घंटे की ही है। गुवाहाटी से न्यू जलपाईगुड़ी रूट पर स्पीड 110 है, जबकि ट्रेन की औसत स्पीड 74 किलोमीटर प्रति घंटे तक ही पहुंच पाई है।

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किस रूट पर वंदे भारत की कितनी एवरेज स्पीड है, देखें टेबल

क्यों स्पीड नहीं पकड़ पा रही वंदे भारत?

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) बनाती है। आईसीएफ के मुताबिक इन ट्रेनों का परीक्षण अधिकतम 180 घंटे प्रति किलोमीटर की स्‍पीड पर हुआ है। ये ट्रेनें 160 की स्‍पीड से पटरी पर दौड़ने लायक हैं। लेक‍िन, पटर‍ियां इतनी तेज  रफ्तार सहने लायक हैं ही नहीं।  पहली वंदे भारत ट्रेन बनाने वाली टीम के अगुआ और आईसीएफ के जनरल मैनेजर रहे सुधांशु मणि त्रिपाठी ने jansatta.com से बातचीत में इस बारे में व‍िस्‍तार से बताया था। 

सुधांशु मणि त्रिपाठी कहते हैं कि भारत में पहली वंदे भारत ट्रेन साल 2018 में बनकर तैयार हुई थी और उसकी कैपेसिटी 160 किलोमीटर की थी। जबकि जापान जैसे देशों में तो 1964 से ही इस क्षमता की हाई स्पीड ट्रेन चल रही हैं। वंदे भारत के इनर सरफेस से लेकर आउटर सरफेस में भी अभी सुधार की तमाम गुंजाइश है।

सबसे बड़ी बात यह है कि हमने 160 की क्षमता वाली ट्रेन बना तो ली है, लेकिन हमारे पास इस स्पीड से ट्रेन चलाने के लिए ज्यादातर रूट पर ट्रैक ही नहीं है। ऐसे में मजबूरन सरकार को मैक्सिमम स्पीड 130 रखनी पड़ी। जब तक वंदे भारत चलाने लायक ट्रैक नहीं बनेंगे, तब तक इस ट्रेन को चलाने का मकसद पूरा नहीं हो पाएगा। (पढ़ें सुधांशु मणि त्रिपाठी का पूरा इंटरव्यू)