लोकसभा चुनाव 2024 की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक दल वादों की बारिश शुरू कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के लोगों को ‘विकसित भारत’ का सपना दिखा रहे हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने वादा कर रही है। भाजपा के घोषणापत्र में ‘मोदी की गारंटी’ के अलावा जो दूसरा मुद्दा केंद्र में है, वह ‘विकसित भारत 2047’ ही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना में देश का आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, पर्यावरणीय स्थिरता और सुशासन शामिल है। यहां हम ‘विकसित भारत’ के लिए लक्षित आर्थिक विकास के पहलू पर बात करेंगे।
आर्थिक विकास के मामले में भारत कहां खड़ा है?
वर्ल्ड जीडीपी रैंकिंग में भारत पांचवें नंबर पर है। पहले नंबर अमेरिका, दूसरे नंबर चीन, तीसरे नंबर पर जापान और चौथे नंबर पर जर्मनी है। भारत का लक्ष्य अगले तीन साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है।
भारत को जिन दो देशों जापान और जर्मनी को पछाड़कर तीसरे नंबर पर पहुंचना है, उनकी नॉमिनल जीडीपी साल 2022 में क्रमश: 4.3 ट्रिलियन डॉलर और 4.1 ट्रिलियन डॉलर थी। वहीं 2022 में भारत की नॉमिनल जीडीपी 3.4 ट्रिलियन डॉलर थी।
भारत को 2028 तक दुनिया की नंबर तीन अर्थव्यवस्था बनने के लिए मौजूदा डॉलर में प्रति वर्ष केवल 6% की दर से बढ़ने की जरूरत है। साथ ही अन्य दो अर्थव्यवस्थाओं को 2% की रफ्तार रखनी होगी।
भारत किस गति से बढ़ रहा है?
2010 से 2022 के दौरान भारत की रियल जीडीपी औसतन 5.9% की दर से बढ़ी है। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद के नौ साल में वास्तविक जीडीपी के बढ़ने की रफ्तार 5.7% रही है।
इससे पता चलता है कि तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनने भारत को जो रफ्तार चाहिए, वह पिछले दो दशक में नहीं रही है। मोदी सरकार में रफ्तार घटी है।
भारत तुलनात्मक रूप से विकास में कमजोर रहा है। यहां तक कि 2013 और 2022 के बीच इसकी समग्र जीडीपी रैंकिंग में नंबर 10 से नंबर 5 तक का सुधार भी 5.7% की औसत वार्षिक वृद्धि के कारण हुआ है, जो बहुत अधिक नहीं है।

तीन दशक पहले एक जैसे थे भारत-चीन के आर्थिक हालात
1990 में चीन का प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत से कम था, हालांकि समग्र जीडीपी के मामले में चीन भारत से आगे था। तब भी नॉमिनल जीडीपी के मामले में दोनों देश वर्ल्ड रैंकिंग में 11वें (चीन) और 12वें (भारत) नंबर पर थे।
1990 में चीन का नॉमिनल जीडीपी 395 बिलियन डॉलर था और भारत के लिए यह आंकड़ा 321 बिलियन डॉलर था। नॉमिनल जीडीपी रियल जीडीपी से अधिक होती है क्योंकि इसमें महंगाई की वैल्यू जुड़ी होती है।
इसके बाद के दो दशकों में सब कुछ बदल गया। चीन का रियल जीडीपी 1990 के दशक में प्रति वर्ष औसतन 10% और 2000 के दशक में 10.4% बढ़ा। 2010 तक चीन 6.1 ट्रिलियन डॉलर की नॉमिनल जीडीपी के साथ अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा था। यह आंकड़ा 1990 के स्तर का 15.4 गुना था।
भारत का रियर जीडीपी बहुत धीमी गति से बढ़ा – 1990 के दशक में 5.8% और 2000 के दशक में 6.3%। 2010 के अंत में भारत का नॉमिनल जीडीपी 1.7 ट्रिलियन डॉलर हो गया, 1990 के स्तर का 5.2 गुना था।
1990 से 2010 तक चीन 11 नंबर से दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन गई। वहीं भारत 12वं नंबर से 9वें नंबर तक ही पहुंच पाया।
भारत को प्रति व्यक्ति जीडीपी पर ध्यान देने की जरूरत
मोदी सरकार ने 2047 तक “विकसित भारत” का लक्ष्य रखा है। वर्तमान प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के स्तर पर भारत एक “निम्न-मध्यम आय” ($1,136-4,465 रेंज) वाला देश है, वहीं चीन एक “उच्च-मध्यम आय” वाला ($4,466-13,845) देश है।
चूंकि एक विकसित देश वह होता है जहां जीवन का औसत स्तर ऊंचा होता है, इसलिए प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 13,846 डॉलर या उससे ज्यादा होना चाहिए। यह एक ऐसा लक्ष्य है, जिसे भारत अपने लिए तय कर सकता है।
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विकसित भारत के नारे के संबंध में प्रोफेसर अशोक गुलाटी ने द इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है, “तेजी से बढ़ते और शहरीकरण वाले भारत के लिए ग्रामीण लोगों का कौशल निर्माण सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अन्यथा मुझे डर है, विकसित भारत केवल शीर्ष 25 प्रतिशत आबादी के लिए विकसित रहेगा, जबकि शेष निम्न-मध्यम आय वर्ग में अटके रह सकते हैं।”

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