गुजरात चुनाव को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी में जुबानी घमासान छिड़ा हुआ है। चुनाव से पहले भाजपा गुजरात की जनता बीच यह फैला रही है कि ‘आप’ सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ मेधा पाटकर को राज्य में अपना नेता घोषित करने वाली है।

4 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने गृह राज्य गुजरात में थे। वहां उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए दावा किया कि आप मेधा पाटकर को गुजरात की राजनीति में पिछले दरवाजे से प्रवेश कराने की कोशिश कर रही है।

शाह ने कहा, ”नर्मदा परियोजना का विरोध करने वाली मेधा पाटकर को गुजरात की राजनीति में पिछले दरवाजे से प्रवेश कराने के लिए कुछ लोगों ने इन दिनों नई शुरुआत की है। मैं गुजरात के युवाओं से पूछना चाहता हूं कि क्या वे नर्मदा परियोजना के साथ-साथ गुजरात के विकास का विरोध करने वालों को राज्य में घुसने देंगे।”

मेधा पाटकर को गुजरात का विरोध करने वाला बताते हुए शाह ने कहा, ”जो लोग गुजरात और हमारी जीवन रेखा नर्मदा परियोजना का विरोध करने वाली मेधा पाटकर को लाना चाहते हैं और हर संभव मंच पर गुजरात को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, उन्हें यहीं रोक देना चाहिए। गुजरात का विरोध करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है।”

28 अगस्त को भुज में कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने के लिए प्रधानमंत्री गुजरात पहुंचे थे। कार्यक्रम के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मेधा पाटकर पर निशाना साधते हुए उन्हें अर्बन नक्सल बता दिया था।

पटेल ने कहा था, ”आज जब नर्मदा का पानी कच्छ तक पहुंच गया है। इसको लेकर एक अलग ही उत्साह है। तब आपको यह भी याद रखना होगा कि वह लोग भी थे, जिन्होंने 50 साल तक कच्छ को नर्मदा के पानी से वंचित रखा। कच्छ को प्यासा रखा। आप सब जानते हैं कि यह विरोध करने वाले अर्बन नक्सली कौन थे।”

मेधा पाटकर बनाम मोदी-शाह

मोदी-शाह और पाटकर के बीच टकराव की कहानी बहुत पुरानी है। नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने सरदार सरोवर परियोजना के खिलाफ लंबा आंदोलन चलाया था।

वह आज भी गुजरात के नर्मदा जिले में स्थित मेगा बांध के नीचे रहने वाले मछुआरों की रोजी रोटी का सवाल उठाती रहती हैं। परियोजना से प्रभावित सभी लोगों के लिए उचित पुनर्वास की मांग करती रही हैं। 2006 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब पाटकर ने बांध की ऊंचाई बढ़ाने के फैसले के खिलाफ 51 घंटे का उपवास किया था।

गुजरात दंगे के बाद पाटकर पर हुआ था हमला

मेधा पाटकर 2002 के दंगों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों में से एक हैं। अप्रैल 2002 में गुजरात दंगों के बाद एक शांति बैठक के दौरान अहमदाबाद के गांधी आश्रम में पाटकर पर हमला किया गया था। मामले में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई थी। उस मामले में पार्टी के अहमदाबाद शहर इकाई के वर्तमान अध्यक्ष सहित दो भाजपा नेताओं पर आज भी मुकदमा चल रहा है।

क्या गुजरात में आप की सीएम का चेहरा हैं पाटकर?

आप ने 2014 के लोकसभा चुनाव में मेधा पाटकर को मुंबई नॉर्थ ईस्ट से मैदान में उतारा था। 2015 में उन्होंने अरविंद केजरीवाल की पार्टी छोड़ दी थी। इंडियन एक्सप्रेस से गुजरात में एक आप नेता ने बताया है कि ”आप और मेधा पाटकर का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा आप को बदनाम करने के लिए उनका नाम ले रही है। यह गुजरात के लोगों को गुमराह करने का एक व्यर्थ प्रयास है।”

मेधा पाटकर का क्या कहना है?

30 अगस्त को ट्वीट कर मेधा पाटकर ने स्पष्ट कर दिया है कि वह गुजरात चुनाव में शामिल नहीं हो रही हैं। आम आदमी पार्टी के साथ अब उनका कोई संबंध नहीं है। वह लिखती हैं, ”मैंने 2014 में ही कुछ महीनों के भीतर पार्टी छोड़ दी और मैं कभी भी दलगत राजनीति का हिस्सा नहीं रही हूं।”

5 सितंबर को अपने ट्वीट में पाटकर लिखती हैं, ”यह दावा बिल्कुल फर्जी है कि मैं आप पार्टी से मुख्यमंत्री का चेहरा बनने जा रही हूं। फर्जी दावों पर ऐसे बयान सीएम या गृह मंत्री जैसे उच्च स्तर के राजनेताओं को शोभा नहीं देता। लेकिन यह नैतिकता के बिना चलने वाली राजनीति है।”