पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले एक्यू खान का रविवार को निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे। खान ने इस्लामाबाद में खान रिसर्च लैबोरेटरीज (केआरएल) अस्पताल में सुबह सात बजे (स्थानीय समयानुसार) अंतिम सांस ली। जियो न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद उन्हें तड़के अस्पताल लाया गया।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री परवेज खटक ने कहा कि वह खान के निधन से “अत्यंत दुखी” हैं और उन्होंने इसे “अपूर्णीय क्षति” बताया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं का हमेशा सम्मान करेंगे। हमारी रक्षा क्षमताओं को समृद्ध करने में उनके योगदान के लिए राष्ट्र उनका ऋणी रहेगा।” बता दें कि डॉक्टर खान का जन्म भोपाल में हुआ था। बाद में बंटवारे के समय वह पाकिस्तान चले गए।
जिस अस्पताल में खान का निधन हुआ, उसी में वह अगस्त में भी भर्ती कराए गए थे। उन्हें कोरोना हो गया था। बाद में वह कोरोना से रिकवर हो गए और घर चले गए। हालांकि कुछ सप्ताह पहले उनकी हालत बिगड़ने लगी और फिर से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अलवी ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजली दी। उन्होंने लिखा, ‘डॉ. अब्दुल कदीर खान के निधन का समाचार सुनकर बहुत दुख पहुंचा है। हम एक दूसरे को 1982 से जानते थे।’
बता दें कि पाकिस्तान में खान को परमाणु हथियारों के जनक के रूप में जाना जाता था। लेकिन उनपर कुछ आरोप भी लगे थे। डॉ. खान पर आरोप था कि उन्होंने गैरकानूनी तरीके से न्यूक्लियर तकनीक को ईरान, लीबिया और नॉर्थ कोरिया के साथ साझा की थी।
खान को साल 2004 में उनके घर में ही नजरबंद करके रखा गया था।साल 2006 में उन्हें प्रोस्टेट कैंसर हो गया। हालांकि सर्जरी के बाद वह ठीक हो गए। साल 2009 में एक कोर्ट ने उन्हें नजरबंदी से रिहा करने का आदेश दे दिया। इसके बाद से जब वह घऱ से बाहर निकलते थे तब सरकार का कोई अधिकारी उनके साथ होता था। उनपर कड़ी निगरानी रखी जाती थी।