अफगानिस्तान पर तालिबान का आधिपत्य होने के बाद कई अनसुलझे सवाल खड़े हो गए हैं। जब अमेरिकी सहायता खत्म हो गई है और अंतरराष्ट्रीय मदद भी लगभग बंद हो गई है तो अफगानिस्तान के पास क्या विकल्प बचे हैं? इनमें सबसे अहम ये है कि देश के पास खजाने का भंडार है। अफगानिस्तान में गैर-ईंधन खनिजों का खजाना है, जिनका मूल्य एक हजार अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा आंका गया है। लेकिन तालिबान उनका इस्तेमाल इतनी आसानी से नहीं कर सकता है।
अफगानिस्तान के लिए उसके संसाधन दीर्घकालिक विदेशी निवेश का जरिया हो सकते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या वैश्विक कंपनियां जुड़ेंगी। अफगानिस्तान संघर्षों के केंद्र में है, जिसमें भारत व पाकिस्तान के अलावा, चीन, ईरान और अमेरिका भी शामिल हैं। देश पर अब तालिबान का नियंत्रण है। यह हालात देश के संसाधनों को बड़े निवेश के लिए आकर्षक तो नहीं बनाते। तालिबान के लिए यह सबसे बड़ी दुविधा है।
ये भी पढ़ेंः
बंदूक वाली सरकार को समर्थन नहीं
कंधार में चॉपर से लटका शख्स को घुमाया
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कॉट एल मांटगोमरी का कहना है कि खनिजों की प्रचुरता निश्चित रूप से अकूत है लेकिन इससे नई अर्थव्यवस्था को फौरी उछाल नहीं मिलेगा। उनका आकलन है कि खनन को राजस्व के मुख्य स्रोत पर तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर उनका उत्खनन करना होगा और इसके लिये कम से कम सात से 10 वर्ष का समय लगेगा।
यूएसजीएस के अनुमानों के मुताबिक, अफगानिस्तान में तांबे का 5.77 करोड़ मीट्रिक टन भंडार हो सकता है जिसकी कीमत मौजूदा हिसाब से 516 अरब अमेरिकी डॉलर होगी। ये संसाधन अभी खोजे नहीं गए हैं। आकलन सही है तो तांबे के मामले में अफगानिस्तान दुनिया के पांच शीर्ष देशों में होगा। कोबाल्ट की भी यहां अच्छी मात्रा है। इसका मौजूदा बाजार भाव 102 अरब अमेरिकी डॉलर है। अफगानिस्तान में विश्व स्तरीय लौह अयस्क संसाधन भी हैं। अनुमान के मुताबिक, हाजी गाक में 210 करोड़ मीट्रिक टन उच्च स्तरीय अयस्क होगा, जिसमें 61-69 प्रतिशत लोहे का वजन होगा। मौजूदा दर के हिसाब से यह 336.8 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा।
नूरीस्तान प्रांत में लीथियम का खासा भंडार है। हेलमंद प्रांत में धरती से दुर्लभ पत्थर और रत्न, पत्थर मिलते हैं। इनका अनुमानित भंडार 14 लाख मीट्रिक टन है। इनमें से दो प्रेजोडायमियम और नियोडिमियम ऊंची कीमत वाले हैं जो करीब 45 हजार अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से बिकते हैं। इनसे शानदार चुंबक का निर्माण होता है जो हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारों की मोटर में इस्तेमाल होते हैं।
मांटगोमरी का कहना है कि सबसे महत्वपूर्ण है धातुओं के लिए फिलहाल मजबूत वैश्विक मांग। अफगानिस्तान इन धातुओं का खनन शुरू कर सकता है या नहीं, यह नई तालिबान सरकार पर निर्भर करेगा। पूर्ववर्ती खनन मंत्रालय के तहत अयनक तांबा भंडार के एक हिस्से के लिये 2.9 अरब डॉलर का अनुबंध चीन की दो सरकारी कंपनियों को दिया गया था। यह अनुबंध 30 साल के लिये था और इस पर 2007 में दस्तखत हुए थे।