World Alzheimer’s Day 2024 Date, Symptoms, Treatment in Hindi: कहीं आपको हर छोटी-मोटी बात भूलने की समस्या तो नहीं है? अगर आपको याददाश्त संबंधित कोई समस्या है तो यह एक गंभीर बीमारी भी हो सकती है। इस गंभीर बीमारी को अल्जाइमर (Alzheimer) कहा जाता है, जिसमें धीरे-धीरे मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।

वहीं, चिंता की बात यह है कि समस्या इतनी गंभीर होने के बावजूद अधिकतर लोग इससे अंजान रह जाते हैं। इसी कड़ी में अल्जाइमर रोग और अन्य डिमेंशिया से संबंधित मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 21 सितंबर के दिन को विश्व अल्जाइमर दिवस (World Alzheimer’s Day) के तौर पर मनाया जाता है।

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इस मौके पर आइए स्वास्थ्य विशेषज्ञों से समझते हैं अल्जाइमर रोग के बारे में विस्तार से, साथ ही जानेंगे इसके लक्षण क्या होते हैं? इसमें सावधानी क्या बरतनी चाहिए और अल्जाइमर पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए क्या किया जा सकता है-

कैसे प्रभावित करता है अल्जाइमर रोग?

इस सवाल को लेकर नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के डायरेक्ट एंड सीनियर कंसलटेंट, न्यूरोलॉजी डॉ. बिप्लब दास बताते हैं, ‘अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश का सबसे सामान्य प्रकार है। ये एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की स्मृति, सोचने की क्षमता और व्यवहार में गिरावट आने लगती है।’

डॉ. दास बताते हैं, रोग की शुरुआती अवस्था में व्यक्ति को हाल की घटनाओं को याद रखने में कठिनाई होने लगती है। वहीं, जैसे-जैसे रोग का विकास होता है, व्यक्ति अपनी दिनचर्या के सामान्य कार्यों को करने में असमर्थ होता चला जाता है, उसे अपने परिवार और दोस्तों को पहचानने में कठिनाई होने लगती है और संज्ञानात्मक कार्यों में भी गिरावट आ जाती है।

क्यों होता है अल्जाइमर रोग?

इस सवाल को लेकर श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली के डायरेक्टर न्यूरोलॉजी, डॉ. राजुल अग्रवाल बताते हैं, अल्जाइमर रोग के सटीक कारणों के बारे में अभी जानकारी नहीं है लेकिन ज्यादातर मामलों में यह बीमारी कई कारकों के मिलने से होती है। इसमें उम्र बढ़ना सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक है।

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, बढ़ती उम्र के साथ-साथ मस्तिष्क में सूजन और न्यूरॉन्स का नुकसान इस रोग के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। कुछ लोगों में अनुवांशिक कारकों के चलते भी रोग का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा मस्तिष्क में असामान्य संरचनाएं, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, धूम्रपान, व्यायाम की कमी और खराब खान पान जैसे कारक भी अल्जाइमर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। यही कारण जब व्यक्ति में एक साथ पैदा होते हैं तो, अल्जाइमर रोग का विकास कर सकते हैं।

कैसे होते हैं शुरुआती लक्षण?

अल्जाइमर के लक्षणों के बारे में बात करते हुए धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजी, डॉ. गौतम अरोड़ा बताते हैं, इस गंभीर बीमारी के लक्षणों का विकास धीरे-धीरे होता है और समय के साथ ये गंभीर होते जाते हैं।

शुरुआती लक्षणों में व्यक्ति को हाल की घटनाओं को याद रखने में कठिनाई महसूस होती है, वह अक्सर एक ही सवाल को बार-बार पूछ सकता है। इसके अलावा ध्यान और एकाग्रता में कमी, निर्णय लेने में कठिनाई, समय और स्थान की समझ में भ्रम होना जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं। मरीज के दैनिक कार्य प्रभावित हो जाते हैं उसे गाड़ी चलाना, खाना बनाना जैसे सामान्य कार्यों को करने में भी दिक्कत होने लगती है। मरीज चिड़चिड़ा हो सकता है, उसे लोगों को पहचानने में भी कठिनाई महसूस हो सकती है।

कैसे होता है इलाज?

डॉ. अरोड़ा के मुताबिक, अल्जाइमर रोग की पहचान के लिए डॉक्टर रोगी और उनके परिवार से उनके अनुभव किए गए लक्षणों के आधार पर मानसिक स्थिति परीक्षण, मस्तिष्क के स्कैन जैसे एमआरआई या सीटी स्कैन आदि के माध्यम से रोग की पुष्टि करते हैं।

अल्जाइमर का कोई पूर्ण इलाज नहीं है लेकिन उपचार के माध्यम से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयों और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) आदि की सलाह दे सकते हैं। इसके साथ प्रारंभिक पहचान, हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल से रोगी की स्थिति में काफी सुधार किया जा सकता है।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।