हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए चीनी का सेवन कम करना बहुत जरूरी है, क्योंकि चीनी का अधिक सेवन करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अधिक चीनी से सबसे पहले शुगर की समस्या होगी और एक बार शुगर का लेवल बढ़ गया तो इसे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इससे धीरे-धीरे शरीर में कई बीमारियां दस्तक देना शुरू कर देती हैं। हालांकि, मिठाई और ड्रिंक्स जैसे स्रोतों को छोड़ देने से चीनी से छुटकारा नहीं मिलता, क्योंकि ऐसा बहुत से फूड्स है जिनमें भरपूर मात्रा में चीनी होती है।
इन चीजों में होती है चीनी
- मसाले और सॉस- केचप, सलाद ड्रेसिंग और बारबेक्यू सॉस।
- बेक्ड गुड्स और ब्रेड- साबुत अनाज की ब्रेड और मफिन।
- डेयरी उत्पाद- फ्लेवर्ड योगर्ट और दूध।
- स्नैक्स- ग्रेनोला बार, प्रोटीन बार और नट बटर।
- फल और जूस- फलों के जूस में चीनी का भरपूर मात्रा में होती है।
- प्रोसेस्ड फूड- पैकेज्ड नमकीन और मीठे फूड्स।
कम या बिना चीनी वाले विकल्प
द डाइट एक्सपर्ट्स के सीईओ और हेड डाइटिशियन सिमरत कथूरिया के अनुसार, पास्ता सॉस, ग्रेनोला बार, ब्रेकफास्ट सीरियल और फ्लेवर्ड योगर्ट जैसे फूड्स में बहुत ज्यादा चीनी हो सकती है। इसके अलावा प्रोटीन ड्रिंक और होल-ग्रेन ब्रेड जैसे फूड्स में भी चीनी अधिक होती है।
खाने के पैकेट पर चीनी की मात्रा चेक करें
किसी भी प्रकार के पैक्ड फूड्स को जब भी मार्केट में लाया जाता है तो उस फूड को तैयार करने के लिए क्या-क्या और कितनी मात्रा में उपयोग किया गया है। ये सब पैकेट पर लिखा होता है, जिससे पारदर्शिता बढ़े और लोगों सभी चीजों को आसानी से देख सकें। कुछ व्यवसाय कम चीनी वाले उत्पादों को फिर से तैयार करने या कम चीनी वाले विकल्प पेश करने के लिए स्टीविया और मोंक फ्रूट जैसे प्राकृतिक स्वीटनर का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा लेबलिंग के प्रयास पूरी दुनिया में फैल रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर निर्णय लेने में मदद मिल रही है।
चीनी छोड़ने के बाद प्रभाव
चीनी छोड़ने के बाद शरीर पर कई तरह के प्रभाव दिखाई देते हैं। जैसे सेरोटोनिन लेवल के एडजस्टमेंट के कारण चीनी की लालसा और मूड में उतार-चढ़ाव, जिसमें चिड़चिड़ापन भी आम है। एनर्जी का लेवल का अस्थायी रूप से कम हो सकता है, लेकिन एडजस्टमेंट के बाद एनर्जी का लेवल बढ़ जाता है। इसके अलावा हार्मोनल उतार-चढ़ाव, विशेष रूप से महिलाओं के लिए, शुरू में मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है, लेकिन लंबे समय तक संतुलित हार्मोन विनियमन की ओर ले जाता है। इससे पाचन संबंधी समस्या भी हो सकती है। सूजन या मल त्याग में बदलाव, आंत माइक्रोबायोम के एडजस्टमेंट के कारण हो सकता है।
NIIMS मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की आहार विशेषज्ञ डॉ. प्रीति नागर के अनुसार, अपने खानपान में स्वाद के अनुसार धीरे-धीरे चीनी का सेवन कम करें और इसकी जगह गुड़, शहद या फलों जैसे प्राकृतिक विकल्पों का सेवन करें।
वहीं, डायबिटीज के मरीजों के लिए चीनी का सेवन खतरनाक हो सकता है। अक्सर लोग कंफ्यूज रहते हैं कि मिठास के लिए सफेद शुगर, ब्राउन शुगर और शहद किसका सेवन करना चाहिए?