स्मोकिंग स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक होती है। सिगरेट शरीर में निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे हानिकारक रसायन छोड़ती है, जिससे गंभीर बीमारी और जिंदगी की उम्र कम होती है। इसके अलावा स्मोकिंग करने से सांस संबंधी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) और अमेरिकी स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि धूम्रपान के कारण पुरुष प्रत्येक सिगरेट से अपने जीवन के 17 मिनट कम कर रहा है। ऐसे ही महिलाओं के मामले में तो नुकसान और भी ज्यादा है। महिलाएं प्रत्येक सिगरेट पीने के लिए अपने जीवन के 22 मिनट खो रही हैं।

स्मोकिंग उम्र कम क्यों करती है?

दरअसल, सिगरेट शरीर में निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे हानिकारक रसायन छोड़ती है। इनके कारण, हार्ट, फेफड़े और रक्त वाहिकाओं सहित शरीर के कई जरूरी अंग धीरे-धीरे खराब हो जाते हैं। रियल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स, फरीदाबाद के आंतरिक चिकित्सा और रुमेटोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. जयंत ठाकुरिया ने इस संबंध में जानकारी दी है।

स्मोकिंग से होने वाली समस्या

  • हृदय संबंधी रोग- जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक।
  • फेफड़ों का कैंसर- दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण धूम्रपान है।
  • क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)- सांस लेने की समस्याएं अधिक गंभीर या खराब होना।

डॉ. जयंत ठाकुरिया के मुताबिक, धूम्रपान न केवल जीवन को छोटा करता है, बल्कि इससे स्वास्थ्य भी खराब होता है। जिसके चलते मृत्यु से कई साल पहले पुरानी बीमारियां परेशान करना शुरू कर देती हैं।

महिलाएं ज्यादा प्रभावित क्यों होती हैं?

अध्ययन में लिंग आधारित असमानताओं पर रोशनी डाली गई, जिसमें पुरुषों की तुलना में महिलाएं प्रति सिगरेट पर अधिक मिनट कम कर रही हैं। डॉ. ने कहा कि जैविक कारक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • हार्मोनल कमजोरी- एस्ट्रोजन, जो हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, महिलाओं को धूम्रपान से होने वाले नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
  • निकोटीन मेटाबॉलिज्म- महिलाएं निकोटीन के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया करती हैं जिससे इसके हानिकारक प्रभाव बढ़ जाते हैं।
  • फेफड़ों और हार्ट की बीमारी का खतरा- धूम्रपान से महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर और हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है।

वहीं, एक स्टडी के अनुसार जो लोग रात को 9 या 10 घंटे सोते हैं उन्हें कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और मोटापे की समस्या हो सकती है। ज्यादा देर तक सोने से चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन और मूड स्विंग जैसी समस्याएं अधिक होने की संभावना रहती है।