मशहूर शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana) अब इस दुनिया में नहीं रहे। रविवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से साहित्य अकादमी और माटी रतन से सम्मानित शायर ने 71 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। बता दें कि वे लंबे समय से क्रोनिक किडनी डिजीज से जूझ रहे थे। इसके चलते बीते 9 जनवरी को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्हें लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, जहां रविवार रात हार्ट अटैक के चलते उनका निधन हो गया।
इधर, पिता की मौत के बाद मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने मीडिया संग हुई एक बातचीत के दौरान बताया कि उनकी हफ्ते में तीन बार डायलिसिस होती थी। क्रोनिक किडनी की बीमारी उनकी मौत का कारण बनी। इसके चलते उन्हें सांस लेने में भी काफी दिक्कत होती थी। ऐसे में आइए जानते हैं इस गंभीर बीमारी के बारे में, साथ ही जानेंगे कि इससे पीड़ित होने पर व्यक्ति को किस तरह के लक्षण नजर आते हैं और किन लोगों को इस तरह की बीमारी का अधिक खतरा है-
क्या होती है क्रोनिक किडनी डिजीज?
इससे पहले बता दें कि किडनी हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। ये खून से विषाक्त पदार्थों को हटाने और इन्हें फिल्टर कर यूरिन के रास्ते बाहर निकालने का काम करती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि मानव शरीर में दोनों किडनी हर रोज करीब 200 लीटर तरल पदार्थ फिल्टर करती हैं। ऐसे में हेल्दी बॉडी के लिए किडनी का हेल्दी रहना बेहद जरूरी हो जाता है।
अब, बात क्रोनिक किडनी डिजीज के बारे में करें, तो ये गुर्दों से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है, जिसमें किडनी सही ढंग से काम नहीं कर पाती हैं। गंभीर मामलों में किडनी की कार्यक्षमता 80 प्रतिशत तक कम हो जाती है। ऐसे में ये शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में असमर्थ होने लगती हैं और शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं।
किन लोगों को है अधिक खतरा?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, क्रोनिक किडनी डिजीज की समस्या आनुवांशिक हो सकती है। इससे अलग डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, वेसिकुरेटेरल रिफ्लक्स जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे पीड़ितों में भी इस तरह की समस्या का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा खराब खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते भी व्यक्ति को किडनी से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है और लंबे समय तक किडनी से जुड़ी परेशानी या किसी तरह की समस्या क्रोनिक किडनी डिजीज का कारण बन जाती है।
इन लक्षणों से करें पहचान
बता दें कि क्रोनिक किडनी डिजीज के 5 स्टेज होते हैं। शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण कम ही नजर आते हैं, हालांकि कुछ खास मामलों में पीड़ित को बार-बार पेशाब आना, बिना अधिक काम किए थकान और कमजोरी महसूस करना, भूख कम लगना, हाथ-पैर में सूजन रहना, झागदार पेशाब आना, बार-बार ब्लड प्रेशर बढ़ना, स्किन का रंग काला पड़ जाना, उल्टी मतली और सांस लेने में दिक्कत होना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है बचाव का तरीका?
बता दें कि क्रोनिक किडनी डिजीज का कोई सटीक इलाज नहीं है। इस स्थिति में मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। हालांकि, शुरुआती स्टेज पर हेल्दी लाइफस्टाइल और सही खानपान के साथ किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।