सेकेंडरी हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। यह समस्या अक्सर उन लोगों में होती है जो पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं। दरअसल, हाइपरटेंशन 2 तरह का होता है। जिसमें प्राइमरी और सेकेंडरी हाइपरटेंशन शामिल हैं। लेकिन दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं।

प्राइमरी हाइपरटेंशन की समस्या सामान्य कारणों से होती है। जबकि सेकेंडरी हाइपरटेंशन से पीड़ित व्यक्ति पहले से ही किसी बीमारी से ग्रस्त होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सेकेंडरी हाइपरटेंशन होने पर दिल से जुड़ी गंभीर समस्याओं और किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि अधिकांश लोग सेकेंडरी हाइपरटेंशन से अनजान होते हैं।

सेकेंडरी हाइपरटेंशन के लक्षण (Secondary Hypertension)

सेकेंडरी हाइपरटेंशन में ब्लड प्रेशर बहुत अधिक बढ़ जाता है। कम उम्र में भी लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है। इसके अलावा सेकेंडरी हाइपरटेंशन से पीड़ित मरीजों की हार्ट-बीट (हृदय की गति) बहुत तेजी से बढ़ने लगती है और सिर दर्द की समस्या जैसे भी लक्षण देखने को मिलते हैं।वहीं, दूसरी ओर पीड़ित मरीजों का वजन भी लगातार बढ़ने लगता है।

सेकेंडरी हाइपरटेंशन की वजह (Causes of Secondary Hypertension)

डायबिटीज के कारण: अक्सर डायबिटीज मरीजों में ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या होने लगती है। कई बार ब्लड प्रेशर का स्तर इतना बढ़ जाता है कि उससे अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। डायबिटीज की समस्या बढने से किडनी पर भी असर पड़ता है, जिससे किडनी का फिल्टर सिस्टम भी प्रभावित होता है। जिस कारण सेकेंडरी हाइपरटेंशन का खतरा बढने लगता है।

थॉयराइड की समस्या होने से: एक्सपर्ट्स के अनुसार जो लोग थॉयराइड की समस्या से ग्रस्त होते हैं उनमें भी इस बीमारी का खतरा रहता है। दरअसल, थॉयराइड की समस्या होने पर शरीर में थॉयराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थॉयराइड हॉर्मोन नहीं बना पाती है, जिसके चलते ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और सेकेंडरी हाइपरटेंशन की समस्या हो जाती है।

गर्भावस्था के कारण : गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महिलाओं का ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और जिसके चलते भी सेकेंडरी हाइपरटेंशन की बीमारी होने लगती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं में इस बीमारी के होने का खतरा सामान्य महिलाओं के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है।

ऐसे करें बचाव (Treatment for secondary hypertension)

सेकेंडरी हाइपरटेंशन से पीड़ित मरीजों में अन्य बीमारियों के होने का खतरा भी होता है। इसलिए इस रोग से पीड़ित मरीजों को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए और ब्लड प्रेशर के स्तर को कंट्रोल रखना चाहिए। इसके अलावा कोई भी लक्षण महसूस होने पर नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ।