प्लास्टिक ने हमारी जिंदगी को काफी हद तक अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया है। हमारे खाने-पीने की ज्यादातर चीजें प्लास्टिक में ही पैक होती है। प्लास्टिक में सामान पैक करना,प्लास्टिक के डिब्बों में खाना पैक होना,प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना सुविधाजनक और सुरक्षित उपाय माना जाता है। घर से लेकर बाहर तक हम दिनभर में खाने-पीने की ज्यादातर चीजें प्लास्टिक के डिब्बों और बोतलों में ही खरीदते हैं। प्लास्टिक की बोतल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल पानी स्टोर करने में होता है। तरह-तरह के ब्रांड पानी की बेस्ट क्वालिटी का दावा करके प्लास्टिक की बोतल में पानी को बेच रहे हैं। आप जानते हैं कि जिस पानी को आप अमृत समझ कर पी रहे हैं वो वास्तव में जह़र है।

प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हालिया रिसर्च के मुताबिक नियमित रूप से बोतलबंद पानी का सेवन सेहत पर ज़हर की तरह असर करता है। रिसर्च के मुताबिक प्लास्टिक की बोतलों में मौजूद प्रत्येक लीटर पानी में शोधकर्ताओं को 100,000 से अधिक नैनोप्लास्टिक अणु मिले है। अपने छोटे आकार के कारण ये कण रक्तप्रवाह, कोशिकाओं और मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं जिससे हेल्थ को कई तरह से खतरा पहुंच सकता है।

नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल में जनरल मेडिसिन में डॉ.एस ए रहमान ने बताया कि प्लास्टिक की बोतल के पानी में बिस्फेनॉल-ए (बीपीए) और फ़ेथलेट्स जैसे रसायन घुल जाते हैं। जब इस बोतल में रखा पानी धूप या गर्मी के संपर्क में आता है तो ये रसायन पानी में घुल जाते हैं और सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक प्लास्टिक कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और क्लोराइड से बना होता है जिसे बीपीए प्लास्टिक की पानी की बोतल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। ये कैमिकल सेहत के लिए हानिकारक होते हैं जिससे सेहत को गंभीर नुकसान हो सकता है। आइए जानते हैं कि प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से सेहत को कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं।

डायबिटीज और दिल के रोगों का बढ़ जाता है खतरा

हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च के मुताबिक पॉली कार्बोनेट की बोतलों से पानी पीने में केमिकल बिस्फेनॉल ए पाया जाता है। इस केमिकल का ज्यादा सेवन दिल के रोग और डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ा सकते हैं।

प्रजनन क्षमता और हार्मोन असंतुलन का बनती है कारण

प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से उसमें मौजूद रसायन बीपीए और फ़ेथलेट्स प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं। ये पानी हार्मोन असंतुलन का कारण बनता है। माइक्रोप्लास्टिक से दूषित पानी कोशिकाओं में सूजन और क्षति का कारण बनता है।

कैंसर की बीमारी का बढ़ने लगता है खतरा

एक्सपर्ट के मुताबिक प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर की बीमारी का खतरा बढ़ने लगता है। प्लास्टिक की पॉलिथीन में रखी गर्म चीज खाने या पीने से कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।