सर्दियों के दौरान, बहुत से लोगों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण दिखाना शुरू हो जाते हैं। वजन बढ़ना, थकान, ठंड लगना, अवसाद, कब्ज, त्वचा और बालों से संबंधित समस्याएं लोगों को झेलना पड़ती हैं। इन लक्षणों को सामने आने के बाद जब लोग ब्लड सीरम की जांच कराते हैं तब भी यह थॉयराइड बॉर्डरलाइन पर रहता है। ये समस्याएं उन लोगों को और ज्यादा परेशान करती है जिन्हें पहले से थायरॉयड से संबंधित दिक्कतें हैं। कई ऐसी स्ट्डीज भी हुई हैं जिनमें यह दावा किया गया है कि सर्दी के मौसम में लोगों को थायरॉयड की प्रोब्लम बढ़ जाती है। थायरॉयड एंडोक्राइन से संबंधित सबसे आम दिक्कत है।

दरअसल, तितली के आकार का थायरॉयड ग्लैंड गर्दन में होता है जो थायरॉयड हार्मोन को नियंत्रित करता है। थायरॉयड हार्मोन शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह मेटाबोलिज्म को कंट्रोल करता है। अगर थायरॉयड ग्लैंड से कम थायरॉयड हार्मोन बने तो इसे हाइपोथायरॉडिज्म कहा जाता है। और अगर थायरॉयड हार्मोन ज्यादा बने तो इसे हाइपरथायरॉयडिज्म कहते हैं।

सर्दियों का मौसम और हाइपोथायरॉडिज्म के बीच संबंध: (What is the link between hypothyroidism and cold weather?)

अगर शरीर में थायरॉयड स्टीमुलेटिंग हार्मोन (TSH)का स्तर बढ़ा हुआ रहता है तो इसका मतलब है कि शरीर में थायरॉयड ग्लैंड सही से काम नहीं कर रहा है। बीएलके मैक्स सेंटर फॉर डायबेट्स, थायरॉयड, ओब्सिटी एंड एंडोक्रायनोलॉजी के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ अशोक झिंगड़ा बताते हैं कि टीएसएच (TSH)के बढ़ने का मतलब है कि थायरॉयड ग्लैंड आपके शरीर की जरूरत के हिसाब से हार्मोन नहीं बना रहा है। इससे मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है और शरीर का तापमान भी कम हो जाता है। इसका असर स्किन पर दिखने लगता है। लोग बहुत ज्यादा ठंडा महसूस करने लगते हैं। यहां तक कि गर्मी में भी उन्हें ठंडा ही लगता है।

अमृता हॉस्पिटल, कोच्चि में सेंटर फॉर एंडोक्रिनोलॉजी एंड डायबिटीज के क्लिनिकल प्रोफेसर डॉ. निशा भवानी इसे स्वीकार करते हुए कहती हैं, “हाइपोथायरायडिज्म में, मरीज में ठंड सहने की क्षमता कम हो जाती है। सामान्यतया ठंड के मौसम में शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए अधिक गर्मी की जरूरत होती है, इसलिए शरीर की मेटोबोलिज्म दर बढ़ जाती है।

लेकिन हाइपोथायरायडिज्म के मरीज इस दर को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि सर्दी में हाइपोथायरायडिज्म के मामले बढ़ जाते हैं। डॉ झिंगान तो यहां तक कहते हैं कि जिन लोगों को कभी भी थायरॉयड नहीं हुआ है उनमें भी टीएसएच (TSH)का लेवल थोड़ा बढ़ा हुआ रहता है। इसलिए कॉन्स्टिपेशन, डिप्रेशन, मसल्स पेन, थकान, सोचने की क्षमता में कमी और मूवमेंट में धीमापन देखा जाता है।

तो बचने के लिए क्या उपाय उठाना चाहिए: (Precautionary measures)

  • डॉ झिंगान कहते हैं कि सर्दियों के मौसम में वैसे तो सभी को ठंड से बचना चाहिए लेकिन हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।
  • इस दौरान गर्म तरल पदार्थों का सेवन करें जिससे शरीर गर्म रहे।
  • स्किन पर मॉइश्चराइजिंग क्रीम लगाएं।
  • जहां तक संभव हो सके ठंड में बाहर जाने से बचें।
  • सुबह में मॉर्निंग वॉक न करें तो बेहतर हैं।
  • जब धूप में निकले तब एक्सरसाइज करें।
  • सीजनल फल, सब्जियों का सेवन ज्यादा करें।