Coronavirus India Lockdown: देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इस बीच एहतियातन पूरे देश को तीन हफ्तों के लिए लॉक डाउन कर दिया गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगर देश को 21 दिनों के लिए लॉक डाउन नहीं किया तो हम 21 साल पीछे चले जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि 21 दिनों के लॉक डाउन का फैसला बहुत सोच-समझकर और एनालिसिस के बाद लिया गया है, ताकि वायरस को भी फैलने से रोका जा सके और अर्थव्यवस्था पर भी इसका कम से कम प्रभाव पड़े।
21 दिनों के लॉक डाउन के पीछे क्या गणित: विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड (वायरस से संक्रमित होने और लक्षण दिखने का समय) 14 दिनों का है। अधिकतर मरीजों के शरीर में संक्रमित होने के 7 दिनों के अंदर लक्षण दिखना शुरू हो जाता है।
‘द टेलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस नजरिए से लॉक डाउन को देखें तो 14वें दिन यानी 7 अप्रैल तक Covid-19 से संक्रमित सभी मरीज सामने आ जाएंगे या उनका पता लग जाएगा। और यदि लॉक डाउन का कड़ाई से पालन किया गया तो सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों या परिवारों के संक्रमित होने का खतरा रहेगा, जिनके यहां पहले से कोरोना वायरस से संक्रमित कोई मरीज है। और उनके संक्रमित होने के लक्षण भी लॉक डाउन पीरियड के दौरान सामने आ जाएंगे।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि लॉक डाउन का मुख्य उद्देश्य अगले 21 दिनों के अंदर वायरस के प्रसार को फैलने से रोकना है और ऐसे मरीजों की पहचान करना है जो पहले से संक्रमित हैं, लेकिन उनका पता नहीं लग पाया है। अगर लॉक डाउन का कड़ाई से पालन किया गया तो संभव है कि सभी मरीजों का पता लगाया जा सके और वायरस के ट्रांसमिशन को रोका जा सके।
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