कब्ज़ की समस्या ऐसी है जो लगभग हर व्यक्ति को कभी न कभी जरूर होती है। यह केवल एक आम परेशानी नहीं बल्कि एक लाइफस्टाइल से जुड़ी स्वास्थ्य समस्या है, जिसके पीछे कई कारण होते हैं। गलत खानपान, फाइबर की कमी, कम पानी पीना, शारीरिक गतिविधियों की कमी और तनाव कब्ज के प्रमुख कारण हैं। जो लोग अपनी डाइट में पर्याप्त फाइबर नहीं लेते और कार्बोहाइड्रेट या प्रोसेस्ड फूड्स ज्यादा खाते हैं, उन्हें यह समस्या अधिक होती है।

इसके अलावा, देर रात खाना खाना, समय पर शौच न जाना, अधिक मात्रा में चाय या कॉफी का सेवन करना और नींद की कमी भी पाचन तंत्र की गति को धीमा कर देती है, जिससे मल सख्त हो जाता है और उसे डिस्चार्ज करने में दिक्कत होती है। कब्ज़ की समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो ये ब्लॉटिंग, गैस, सिरदर्द और स्किन से जुड़ी समस्याएं भी पैदा कर सकती है। इस परेशानी का इलाज करने के लिए संतुलित आहार का सेवन करना, नियमित व्यायाम करना और पर्याप्त पानी पीना सबसे असरदार उपाय माना जाता हैं।

आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के एक्सपर्ट डॉक्टर सलीम जैदी ने बताया कब्ज को दूर करने के लिए केला का सेवन बेहद असरदार साबित होता है। कुछ लोग मानते हैं कि केला खाने से कब्ज़ होता है, जबकि वैज्ञानिक सबूत कुछ और ही बताते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक केला कब्ज़ को बढ़ाने के बजाय उसे कम करने में मदद करता है। इसमें मौजूद डायट्री फाइबर पेट की सफाई को आसान बनाता है और मल को सॉफ्ट करता है। केला एक ऐसा फल है, जो पाचन में सुधार करता है और पुरानी से पुरानी कब्ज को दूर करता है। आइए जानते हैं कि केला कैसे कब्ज का इलाज करने में असरदार साबित होता है।

केले में मौजूद फाइबर है कब्ज का तोड़

 केले में दो तरह के फाइबर होते हैं एक घुलनशील (soluble) और दूसरा अघुलनशील (insoluble)। घुलनशील फाइबर पानी के संपर्क में आकर मल को नरम और बड़ा बनाता है, जिससे मल त्याग में आसानी होती है। वहीं अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र की गति को सक्रिय रखता है। एक मीडियम आकार के केले में करीब 3 ग्राम फाइबर पाया जाता है।

कच्चे केले में होता है रेसिस्टेंट स्टार्च

हरे यानी कच्चे केले में रेसिस्टेंट स्टार्च पाया जाता है, जो फाइबर की तरह काम करता है और पाचन में मदद करता है। यह स्टार्च छोटी आंत में नहीं पचता, बल्कि बड़ी आंत में जाकर गुड बैक्टीरिया को पोषण देता है। इससे डाइजेस्टिव हेल्थ बेहतर होती है और कब्ज़ से राहत मिलती है। एक 2019 के अध्ययन में पाया गया कि कच्चा केला खाने से कब्ज़ से परेशान बच्चों और किशोरों में सुधार देखा गया और उन्हें लैक्सेटिव (पेट साफ करने वाली दवा) की मात्रा भी कम लेनी पड़ी।

क्या केला कब्ज़ बढ़ाता है और लूज मोशन को कंट्रोल करता है ?

कुछ लोगों का मानना है कि केला खाने से कब्ज़ होती है, लेकिन वैज्ञानिक प्रमाण इसे सही नहीं ठहराते। केला BRAT डाइट (Banana, Rice, Applesauce, Toast) का हिस्सा है, जिसे अक्सर डायरिया या उल्टी के बाद रिकवरी के लिए दिया जाता है। यह आसानी से पचने वाला भोजन है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि केला कब्ज़ पैदा करता है। अगर आपको लगता है कि केला खाने से कब्ज़ बढ़ रही है, तो किसी डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह लेना बेहतर है। केला दस्त को कंट्रोल करता है, इसमें मौजूद पेक्टिन पानी को सोखकर मल को थोड़ा ठोस बनाता है। डॉक्टर दस्त से पीड़ित लोगों को केले, चावल, सेब और टोस्ट खाने की सलाह देते हैं। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है और आंतें हेल्दी रहती हैं।

पाचन तंत्र के लिए और भी फायदेमंद है केला

केले में मौजूद फाइबर और प्रीबायोटिक गुण आंतों में रहने वाले गुड बैक्टीरिया को पोषण देते हैं। एक 2020 के अध्ययन में पाया गया कि केले के गूदे से बना डाइटरी फाइबर चूहों में गट हेल्थ, वजन कंट्रोल और आंतों के कार्य में सुधार करता है। कई रिसर्च बताती है कि केला कब्ज़ को बढ़ाने के बजाय कम करने में मददगार है। इसमें मौजूद फाइबर और रेसिस्टेंट स्टार्च मल को नरम बनाते हैं और आंतों की गति को संतुलित रखते हैं। केले में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम आंतों की मांसपेशियों को रिलेक्स करते हैं, जिससे मल त्याग आसान हो जाता है। पके केले का नियमित सेवन कब्ज, पाचन संबंधी समस्याओं, पेट फूलने और गैस की समस्या में राहत देता है। 

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