विटामिन B12, जिसे कोबालमिन (Cobalamin) भी कहा जाता है, शरीर के लिए एक बेहद आवश्यक पोषक तत्व है। यह पानी में घुलनशील विटामिन है जो हमारे Nervous System को स्वस्थ रखने, रेड ब्लड सेल्स (RBCs) के निर्माण और डीएनए सिंथेसिस जैसे कई ज़रूरी कार्यों में मदद करता है। चूंकि हमारा शरीर इस विटामिन का निर्माण खुद नहीं कर सकता, इसलिए इसे डाइट या सप्लीमेंट्स के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। बॉडी में इस विटामिन की कमी खराब डाइट जैसे अंडा, मछली, मांस और डेयरी प्रोडक्ट्स की कमी की वजह से होती है।

बॉडी में इस विटामिन की कमी के कुछ मानसिक और शारीरिक लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में दिखने वाले लक्षणों की बात करें तो हाथ-पैरों में झुनझुनी, मांसपेशियों में कमजोरी, थकान, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, सांस फूलना शामिल है। बी 12 की कमी के मानसिक सेहत पर दिखने वाले लक्षणों में याददाश्त कमजोर होना शामिल हैं। यह कमी शरीर के ऊर्जा स्तर को घटाती है और दिमाग के रासायनिक संतुलन को भी बिगाड़ सकती है।

बॉडी के लिए इस जरूरी विटामिन की भरपाई पशु उत्पादों का सेवन करने से होती है। आयुर्वेद में इस विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए देसी हर्ब्स का सेवन करने की सलाह दी गई है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट और योग गुरु बाबा रामदेव ने बॉडी में विटामिन बी 12 की कमी को पूरा करने के लिए मोरिंगा के पत्तों का सेवन करने की सलाह दी है। ये पत्ते अंगों की कमजोरी को दूर करते हैं, हाथ-पैरों में होने वाली झुनझुनी का इलाज करते हैं। आइए जानते हैं कि मोरिंगा के पत्ते कैसे नसों की कमजोरी दूर करते हैं और बॉडी को हेल्दी रखते हैं।

मोरिंगा के पत्ते कैसे करते हैं विटामिन बी 12 की कमी का इलाज

आयुर्वेद के अनुसार मोरिंगा एक अत्यंत शक्तिशाली औषधीय पौधा माना गया है जिसे  शिग्रु कहा गया है। इसे शरीर को संतुलित और ऊर्जावान बनाए रखने वाला सर्वगुण सम्पन्न आहार माना जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक मोरिंगा शरीर में B12 की कमी से जुड़ी कमजोरी को अप्रत्यक्ष रूप से ठीक करने में मदद करता है। मोरिंगा रक्तवर्धक और तंत्रिका बलवर्धक होता है। इसके पत्तों में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और बी-कॉम्प्लेक्स तत्व मौजूद होते हैं जो रक्त निर्माण (blood formation) में मदद करते हैं।

रोज इन पत्तों का सेवन करने से ऊर्जा और मांसपेशियों की शक्ति बढ़ती है। मोरिंगा पाचन को दुरुस्त करता है, जिससे शरीर भोजन से पोषक तत्वों को बेहतर ढंग से अवशोषित (absorb) कर पाता है। इससे B12 जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रभाव शरीर में अधिक होता है। मोरिंगा वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने वाला पौधा है। यह शरीर में जमा विषाक्त तत्वों को निकालता है। सुबह खाली पेट 1 चम्मच मोरिंगा पाउडर को गुनगुने पानी या शहद के साथ खाएं।

मोरिंगा के पत्ते कैसे ब्रेन हेल्थ में करते हैं सुधार

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि मोरिंगा या सहजन के पत्ते दिमाग के लिए एक बेहतरीन नेचुरल टॉनिक हैं। इसे आयुर्वेद में मस्तिष्क पोषक रसायन कहा गया है, यानी ऐसी डाइट जो याददाश्त बढ़ाती है,एकाग्रता और मानसिक संतुलन को बढ़ाती है। मोरिंगा के पत्तों में क्वेरसेटिन और क्लोरोजेनिक एसिड जैसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। ये मस्तिष्क की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाकर न्यूरॉन डैमेज रोकते हैं, जिससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा घटता है। ये पत्ते यह डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे खुशी के हार्मोन के स्तर को बढ़ाते हैं, जिससे मूड बेहतर होता है और डिप्रेशन व एंग्जाइटी से राहत मिलती है।

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