डायबिटीज आज के समय में एक ऐसी गंभीर बीमारी बन चुकी है, जो तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है। ताउम्र रहने वाली ये बीमारी बड़े-बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चों को भी प्रभावित कर रही है। इतना ही नहीं, प्रमुख मेडिकल जर्नल द लांसेट में पब्लिश एक स्टडी बताती है कि साल 2050 तक डायबिटीज से पीड़ितों की संख्या 130 करोड़ को पार कर सकती है। इसमें भी टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ितों की संख्या अधिक देखने को मिल सकती है। ये स्टडी 1990 से लेकर 2021 के बीच की अवधि में डायबिटीज के चलते हुई मृत्यु और विकलांगता पर आधारित है। जाहिर है कि ये आंकड़े डरा देने वाले हैं। हालांकि, एक राहत की बात यह है कि सही लाइफस्टाइल और खानपान के साथ टाइप 2 डायबिटीज की स्थिति पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
दरअसल, हेल्थ एक्सपर्ट्स खराब जीवनशैली और अनहेल्दी खाने की आदतों को ही टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती कारणों में से सबसे अहम बताते हैं। खानपान में लापरवाही इंसुलिन रेजिस्टेंस के खतरे को अधिक बढ़ा सकती है, जो डायबिटीज होने का कारण बन जाता है। इसी कड़ी में यहां हम आपको 5 ऐसे सूपरफूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिनका नियमित सेवन इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम कर डायबिटीज को मैनेज करने में मददगार हो सकता है।
इससे पहले जान लेते हैं कि आखिर इंसुलिन होता क्या है?
इंसुलिन दरअसल, एक हार्मोन है जो पैनक्रियाज द्वारा प्रोड्यूस किया जाता है। हम भोजन करते हैं, उसे हमारी बॉडी कार्बोहाइड्रेट तोड़कर शुगर (ग्लूकोज) में बदलती है। इसके बाद इंसुलिन की मदद से बॉडी की सेल्स इस शुगर को सोखकर एनर्जी बनाती है, जिसे फिर बॉडी हर तरह के काम के लिए इस्तेमाल करती है। हालांकि, डायबिटीज होने पर इंसुलिन का बनना कम हो जाता है या वह ठीक से काम नहीं करता है, तो सेल्स खून में मौजूद शुगर की मात्रा को सोखने में असमर्थ हो जाती हैं। इससे ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है, जो समय के साथ शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाने लगती है।
इसी कड़ी में खासकर टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन इंजेक्शन लेने की जरूरत होती है। टाइप 1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज है इंसुलिन बनना कम होने लगता है या ठीक से काम नहीं करता है। इसे ही इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है। यहां हम आपको 4 सूपरफूड्स बता रहे हैं, जिसके सेवन से इंसुलिन रेजिस्टेंस के खतरे को कम किया जा सकता है।
दालचीनी
कई हेल्थ रिपोर्ट्स बताती हैं कि दालचीनी का सेवन इंसुलिन हार्मोन की तरह काम कर सकता है या दालचीनी इंसुलिन प्रतिरोध को कंट्रोल करने में असरदार हो सकती है। ऐसे में मधुमेह रोगियों के लिए ये बेहद फायदेमंद हो जाती है। दालचीनी का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
घी
घी का सेवन भी इंसुलिन स्राव को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। घी खाने से आपको हेल्दी सैचुरेटेड फैट मिलता है, जो पूरे दिन आपके इंसुलिन के स्तर को स्थिर रखने में मददगार हो सकता है। हालांकि, एक सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें।
अखरोट
एक शोध के नतीजे बताते हैं कि अखरोट खाने से भी शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस में कमी देखी जा सकती है। इतना ही नहीं एक तय मात्रा में अखरोट खाने से सेल्स शरीर में मौजूद इंसुलिन हॉर्मोन का बेहतर इस्तेमाल करने लगती हैं। साथ ही अखरोट ओमेगा-3 फैटी एसिड का बेहतरीन स्रोत हैं, जो कोशिकाओं में ग्लूकोज के अवशोषण को बढ़ाता है। ऐसे में आप इसे अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।
एवोकाडो
इन सब से अलग एवोकाडो मोनोसैचुरेटेड फैट का एक अच्छा स्रोत है, जो भी इंसुलिन सेंसिटिविटी और ब्लड ग्लूकोज रेगुलेशन को बेहतर बनाने में मददगार हो सकता है। ऐसे में आप एवोकाडो को डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।