पेगासस से जुड़ा मामला देश में तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले को लेकर संसद में भी जमकर हंगामा हुआ, जिससे संसद की कार्यवाही छठे दिन भी बाधित हुई। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के सांसदों से विपक्षी दलों की पोल खोलने की कथित तौर पर अपील की, साथ ही विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वह कोरोना जैसे अहम मुद्दों से भाग रहे हैं। वहीं हाल ही में पेगासस को लेकर मशहूर पत्रकार रवीश कुमार ने भी पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसा। उन्होंने फेसबुक पोस्ट शेयर कर लिखा कि मामले की जांच नहीं कराएंगे, लेकिन मांग करने वालों की जांच कराएंगे।

मशहूर पत्रकार रवीश कुमार की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है, साथ ही यूजर भी इसपर खूब कमेंट कर रहे हैं। रवीश कुमार ने रफाल की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “रफाल में जांच नहीं कराएंगे, पेगासस में जांच नहीं कराएंगे लेकिन जांच की मांग करने वालों की जांच कराएंगे।”

इसके अलावा अपनी एक पोस्ट में रवीश कुमार ने पेगासस पर बात करते हुए लिखा, “सेना, सुरक्षा बलों और जांच एजेंसियों के अधिकारियों के फोन नंबर पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर की सूची में मिले हैं। यह कोई सामान्य बात नहीं है। सरकार भले ही जांच से इंकार करती रहे, लेकिन लोगों की जिंदगी में डकैती का इससे बड़ा कोई कांड नहीं होगा।”

रवीश कुमार ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, “यह तो सॉफ्टवेयर है। न जाने जासूसी के और कितने सॉफ्टवेयर लोगों की जिंदगी में झांक रहे हैं। ममता बनर्जी की सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन तो कर दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लिए बगैर यह मामला आगे बढ़ने वाला नहीं है।

रवीश कुमार ने अपनी पोस्ट में जांच एजेंसी का जिक्र करते हुए आगे लिखा, “जिस क्षमता का सॉफ्टवेयर है, इसे लेकर संदेह करने में गुरेज नहीं कि हमारी कौन सी जांच एजेंसी इसकी जांच के लिए सक्षम है।” बता दें कि पेगासस की जांच के लिए सीएम ममता बनर्जी ने भी पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।

वहीं रवीश कुमार की पोस्ट का जवाब देते हुए नारायण मिश्रा नाम के यूजर ने लिखा, “जांच में आंच है, आंच से जलने का खतरा है। एक छवि जो गढ़ी गई, सालों मेहनत लगी, पैसा लगा, भक्ति लगी। इस काल्पनिक छवि को हरहाल में बरकरार रखना है, भले ही देश की प्रतिष्ठा दांव पर हो।” सुमन नाम की यूजर ने लिखा, “ये अंग्रेजों के जमाने के जासूस हैं, पेगासस जासूसी का लाभ मोदी जी को मिल ही गया। रंजन गोगोई को ब्लैकमेल कर राफेल का फैसला पक्ष में करा गए।”