रविवार को पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। इस चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सहित तीन सीएम चेहरे के भाग्य का फैसला होगा। इसके अलावा कई पार्टी के दिग्गज नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
लंबे समय तक चले चुनाव अभियान के बाद रविवार को पंजाब के 2.14 करोड़ मतदाता 117 विधानसभा क्षेत्रों के करीब 1304 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इस बार के चुनाव में जिन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है उसमें शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक व राज्य के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल, पिछले साल मुख्यमंत्री पद से हटाए गए कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल भी शामिल हैं। प्रकाश बादल लांबी से, कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला से और राजिंदर भट्टल लहरा गागा से चुनाव लड़ रही हैं।
मौजूदा सीएम चरणजीत सिंह चन्नी जो कांग्रेस के सीएम-चेहरे भी हैं, वे अपने पुराने चुनावी अखाड़े चमकौर साहिब से एकबार फिर ताल ठोंक रहे हैं। चन्नी चमकौर साहिब के अलावा भदौर से भी चुनाव लड़ रहे हैं। चन्नी के लिए चुनौती न केवल उन दो सीटों पर जीत हासिल करने की है जहां से वह चुनाव लड़ रहे हैं, बल्कि उनके ऊपर कांग्रेस को राज्य में जीत दिलाने का दारोमदार भी है। कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के दावों की अनदेखी करते हुए राज्य में पहली बार किसी दलित नेता पर दांव लगाया है।
पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर (पूर्व) से चुनाव लड़ रहे हैं जहां से उनके खिलाफ अकाली दल के दिग्गज नेता बिक्रम मजीठिया चुनाव मैदान में हैं। मजीठिया ने अंतिम समय में इस सीट से अपना पर्चा भरा। सिद्धू और मजीठिया दोनों के लिए यह करो या मरो की लड़ाई है। कांग्रेस में प्रासंगिक बने रहने के लिए सिद्धू का इस सीट को जीतना जरूरी है। वहीं मादक पदार्थों की तस्करी के मामले का सामना कर रहे मजीठिया अगर चुनाव जीतते हैं तो इसका संदेश यह जाएगा कि वे लोगों की अदालत में बरी हो चुके हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार चुनाव बाद उन्हें आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया गया है। हालांकि सिद्धू मजीठिया को लगातार तस्कर कहते रहे हैं।
मजीठिया के लिए हार का मतलब अकाली नेता के लिए दोहरी परेशानी होगी, जिन्होंने सिद्धू की चुनौती को स्वीकार करने के बाद पत्नी गनीव कौर के लिए अपना गृहनगर मजीठा खाली कर दिया। अमृतसर (पूर्व) को इस बार राज्य के चुनाव में सबसे हॉट सीट के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा मजीठिया को अपनी पत्नी की जीत भी सुनिश्चित करनी है।
वहीं अमरिंदर के लिए भी यह प्रतिष्ठा की लड़ाई होगी। कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी (पीएलसी) बनाई और चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया। एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि अगर उन्हें कांग्रेस को संदेश देना है तो उन्हें पटियाला सीट जीतनी होगी। अन्यथा, यह उनके लिए शर्मनाक होगा। अमरिंदर को उनकी पार्टी के प्रदर्शन के लिए भी आंका जाएगा, खासकर उन रिपोर्टों के मद्देनजर जिनमें कई उम्मीदवार भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे हैं।
इसके अलावा आम आदमी पार्टी के भगवंत मान हैं, जिनके लिए न केवल धुरी विधानसभा में चुनावी लड़ाई है, बल्कि अपनी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए 59 की जादुई संख्या हासिल करने की भी बड़ी लड़ाई है। पिछले पांच वर्षों से पार्टी के भीतर लगातार कलह के बाद भगवंत मान को आप का सीएम उम्मीदवार घोषित किया गया है।
वहीं अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के लिए भी यह प्रतिष्ठा की लड़ाई है। सुखबीर बादल को पहली बार पार्टी का सीएम चेहरा बनाया गया है। इससे पहले अकालियों ने प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में राज्य का चुनाव लड़ा है। यह सुखबीर के लिए एक कठिन लड़ाई है, जिसके पास अपनी पार्टी को फिर से उबारने की जिम्मेदारी है। बता दें कि 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी और आप 20 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी। अकाली दल ने सबसे ख़राब प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया था।
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखदेव ढींडसा के बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा लहरा गागा में राजिंदर कौर भट्टल के खिलाफ खड़े हैं। इस सीट पर भी लड़ाई काफी दिलचस्प है। संयुक्त समाज मोर्चा के बलबीर सिंह राजेवाल भी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें उनकी पार्टी की ओर से सीएम उम्मीदवार बनाया गया है। उनके लिए भी न केवल उनके अपने विधानसभा क्षेत्र समराला में उनके प्रदर्शन बल्कि उनकी पार्टी के प्रदर्शन पर भी गहरी नजर होगी।
इन दिग्गजों के अलावा 16 कैबिनेट मंत्री और कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा के बेटे मोहित मोहिंद्रा भी चुनाव में उतरे हैं। 2017 के चुनावों में पंजाब की जनता ने प्रकाश सिंह बादल की कैबिनेट के ज्यादातर मंत्रियों को धूल चटा दिया था।
राज्यसभा नेता और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा भी लंबे समय तक संसद में रहने के बाद विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनके भाई फतेहजंग सिंह बाजवा ने पार्टी द्वारा प्रताप को कादियान से टिकट देने का वादा करने के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी।
सीएम चन्नी के भाई डॉ मनोहर सिंह बस्सी पठाना निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह के बेटे राणा इंद्रपाल सिंह सुल्तानपुर लोधी से कांग्रेस उम्मीदवार नवतेज सिंह चीमा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। राणा गुरजीत जहां अपने बेटे का खुलकर समर्थन करते रहे हैं, वहीं चन्नी ने अपने भाई का समर्थन नहीं किया है।