उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियों ने इस बार प्रत्याशियों में अच्छा खासा बदलाव किया है। पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर पहले ही चरण में 10 फरवरी को वोटिंग होने वाली है। प्रत्याशियों के चयन में सबसे ज्यादा जिस बात पर ध्यान दिया गया है वह है जातिगत समीकरण। बात अगर हापुड़ जिले की करें तो यहां पर सपा, बसपा और भाजपा सभी पार्टियों के कार्यालयक एक या दो किलोमीटर के दायरे में ही हैं। समाजवादी पार्टी ने इस बार गुज्जर समुदाय के रविंदर चौधरी को टिकट दिया है।

इस विधानसभा में लगभग 10 फीसदी लोग इस समुदाय से आते हैं और उनके तीन लाख के आसपास वोट हैं। समर्थकों का कहना है कि उन्हें मुस्लिम और गुज्जर वोट मिलेंगे औऱ उनकी जीत सुनिश्चित है। सपा के एक सपोर्टर मनमीत ने कहा कि कई अन्य जातियां भी रविंदर चौधरी का समर्थन करेंगी।

सपा ने पहले नैना देवी को इस सीट पर उतारने की योजना बनाई थी जो कि मेरठ के एक कारोबारी घराने से ताल्लुक रखती हैं। बाद में उन्हें पीछे छोड़कर चौधरी को टिकट दे दिया गया। बताया जा रहा है कि सपा ने अपनी रणनीति में बदलाव इसलिए किया क्योंकि मायावती ने तीन बार के विधायक को मैदान में उतार दिया था। बसपा ने मोहम्मद आरिफ को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन बाद में मदन चौहान को टिकट दे दिया गया। मदन चौहान अखिलेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

बसपा को लगता है कि चौहान राजपूत नेता हैं और इस क्षेत्र में 40 हजार राजपूतों के अलावा जाटव वोट भी उन्हें मिलेंगे। परंपरागत रूप से जाटव बसपा का सपोर्ट करते रहे हैं। चौहान का कहना है कि उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर इलाके में पर्याप्त काम किया है। सपा कार्यकर्ता मोहम्मद हनीफ ने बताया कि नैना ने इस इलाके में प्रचार भी किया था लेकिन स्थानीय लोगों के साथ उनका जुड़ाव कम था।

वहीं भाजपा की बात करें तो उसने मौजूदा विधायक कमल सिंह मलिक का टिकट काटकर हरेंद्र सिंह तेवतिया को दे दिया। वह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के वंशज हैं। तेवतिया जाट कैंडिडेट हैं और इलाके में लगभग 35 हजार जाट वोट हैं। कांग्रेस ने भी जाट महिला आभा चौधरी को यहां से उतारा है।