उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी ने डोर टू डोर कैंपेन की शुरुआत कैराना से की। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद प्रचार अभियान की कमान संभाली। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी ध्रुवीकरण करना चाहती है, यही कारण है कैराना, जहां हिंदुओं के पलायन का मुद्दा है, वहीं से बीजेपी पूरे प्रदेश में संदेश देना चाहती है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या वाकई पश्चिमी यूपी के कैराना में हिंदुओं के पलायन का मामला पूरे प्रदेश में बड़ा मुद्दा बनेगा? ABP CVoter के सर्वे में यही सवाल लोगों से पूछा गया, जिसके जवाब कुछ इस प्रकार मिले:
क्या कैराना पलायन यूपी चुनाव में मुद्दा बनेगा? 45 प्रतिशत लोगों ने इसका जवाब हां में दिया, जबकि 27 प्रतिशत का मानना है कि नहीं, कैराना पलायन चुनाव में मुद्दा नहीं बनेगा। इस सवाल के जवाब में 28 प्रतिशत ने कहा कि वह इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह सकते हैं। ABP CVoter सर्वे के नतीजों के हिसाब से देखा जाए कैराना पलायन अगर यूपी में मुद्दा बनता है तो निश्चित तौर पर इसका लाभ यूपी में बीजेपी को मिलेगा। पश्चिमी यूपी में वैसे भी मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है।
ABP CVoter के ताजा सर्वे में अगर यूपी की ओवरऑल स्थिति देखी जाए तो बीजेपी को वोट पर्सेंट एक प्रतिशत बढ़ा है, जबकि सपा को थोड़ा नुकसान होता नजर आ रहा है। सर्वे के मुताबिक, बीजेपी को 42 प्रतिशत वोट मिलता दिख रहा है, जबकि सपा और उसके साथियों को 33 प्रतिशत। बसपा को 2022 यूपी चुनाव में महज 12 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ सकता है। वहीं, कांग्रेस को 7, जबकि अन्य को 6 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है।
बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में संगीत और सुरेश राणा जैसे नेताओं को वोटों के घ्रुवीकरण के लिए मैदान में उतारा है। ये दोनों फायरब्रांड नेता लगातार सपा पर मुस्लिम परस्त होने का आरोप लगा रहे हैं। संगीत सोम ने तो यहां तक ऐलान कर दिया है कि बीजेपी पहले चरण के भीतर पश्चिमी यूपी की 55 सीटों पर होने वाले मतदान में जनता करीब 51 सीटों पर बीजेपी को जिताने जा रही है। उन्होंने पूरे प्रदेश में बीजेपी को करीब 350 सीटें मिलने का दावा भी किया है।
संगीम सोम ने पार्टी के हिंदुत्व वाले एजेंडा के बारे में हाल ही में कहा कि यह हमारे लिए कोई एजेंडा नहीं है। बीजेपी हिंदुत्व के लिए कुछ भी करेगी। संगीत ने कहा, हमने तुष्टिकरण, ध्रुवीकरण नहीं किया, ये सब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव करते हैं। वह एक क्षेत्र के प्रति पक्षपाती हैं। अखिलेश यादव धर्म की राजनीति करते हैं, लेकिन वह असफल रहे हैं।