पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव को लेकर देश का सियासी पारा गर्म है। सबकी निगाहें खासकर उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं। एक तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपनी वापसी के लिए हर संभव प्रयास में जुटी है तो दूसरी तरफ विपक्षी दल खासकर, समाजवादी पार्टी भी पूरी ताकत झोंक रही है। सियासी गलियारों में बीजेपी सांसद मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी को हाशिए पर रखने का मामला भी चर्चा का विषय बना हुआ है। मेनका जहां यूपी के सुल्तानपुर से सांसद हैं तो वहीं वरुण पीलीभीत का नेतृत्व करते हैं। दोनों की गिनती कद्दावर नेताओं में होती है।
हालांकि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इन दोनों नेताओं को स्टार प्रचारकों की सूची में जगह नहीं दी। आपको बता दें कि वरुण गांधी पिछले कुछ वक्त से एक तरीके से सरकार पर हमलावर हैं। किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने खुलकर सरकार की नीतियों की आलोचना की थी और सवाल खड़े किए थे।
‘मैं और मेरी मां ईमानदारी से कर रहे राजनीति’: सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख के मसले पर जब वरुण गांधी से सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि किस बात का कौन क्या मतलब निकालता है मुझे नहीं पता, लेकिन मैं राजनीति में अपना स्वार्थ साधने नहीं आया हूं। मैं और मेरी मां पूरी ईमानदारी से लोगों के हितों की रक्षा के लिए तत्पर हैं और इसी के लिए राजनीति करते हैं।
दैनिक जागरण को दिए एक इंटरव्यू में वरुण गांधी ने कहा कि बहुत कम लोग जानते हैं कि मैं सांसद के रूप में मिलने वाली तनख्वाह नहीं लेता और न ही बंगला, गाड़ी जैसी दूसरी सुविधाएं लेता हूं।
लोगों की मदद के लिए तुड़वा दी थी बेटी की एफडी: वरुण गांधी ने कहा कि कोरोना काल के दौरान जब मेरे संसदीय क्षेत्र पीलीभीत में दवाओं, ऑक्सीजन जैसी जरूरी चीजों का अभाव हो गया तो मैंने अपनी बेटी की एफडी तुडवा दी। और उन पैसों से लोगों को दवाइयां और ऑक्सीजन सिलेंडर जैसी चीजें उपलब्ध कराई थी।
अंतरात्मा को धोखा नहीं दे सकता, सरकार माने मेरी सलाह: वरुण गांधी ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में सवाल पूछे जाने चाहिए और मेरा मानना है कि मेरी सलाह पर पार्टी और सरकार दोनों को विचार करना चाहिए। इससे जनता का ही भला होगा। तमाम लोग अपने निजी स्वार्थ के चलते सत्ता के आगे घुटने टेक देते हैं लेकिन मेरे लिए ऐसा करना अपनी अंतरात्मा को धोखा देने जैसा है।
क्या किसी विपक्षी दल ने संपर्क किया? वरुण गांधी से जब यह पूछा गया कि विपक्ष का कौन सा दल उन्हें अच्छा लगता है, क्या वह भाजपा में ही रहेंगे? उन्होंने कहा कि मैं राजनीतिक दलों की नीतियों पर तो टिप्पणी कर सकता हूं लेकिन उन्हें सही या गलत करार देने का मुझे क्या अधिकार? जो दल लोगों की बात करते हैं, उनके लिए काम करते हैं वही सही हैं। क्या किसी विपक्षी दल ने उनसे संपर्क किया? इस पर वरुण ने कहा कि इस सवाल का कोई औचित्य ही नहीं है। मैं तो हमेशा अपने क्षेत्र की जनता के संपर्क में रहता हूं और जनता मेरे संपर्क में रहती है।
पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाया था: आपको बता दें कि पहले किसान आंदोलन और बाद में लखीमपुर खीरी में हुई घटना के बाद वरुण गांधी ने एक के बाद एक तमाम ट्वीट कर सरकार को घेरा था। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने वरुण के साथ-साथ उनकी मां को भी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया था। अब उत्तर प्रदेश से ही सांसद और लोकप्रिय नेता होने के बावजूद दोनों एक तरीके से हाशिए पर हैं।