यूपी में बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर जनता योगी सरकार से नाराज दिख रही है। हालांकि फ्री राशन और सुरक्षा के मुद्दे पर लोग भी स्वीकार कर रहे हैं कि इन क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर काम हुआ है।

यूपी में नई नौकरियों के अभाव में युवाओं में बेचैनी है, पांच साल पहले भाजपा सरकार ने जो वादा किया था और जो उसने दिया, उसके बीच अंतर पर स्पष्ट निराशा, ईंधन और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों पर असंतोष साफ दिख रहा है। फिर भी, इस बात के सबूत हैं कि यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ असंतोष, गुस्से में नहीं बदला है।

भाजपा का नारा- फर्क साफ है और सोच ईमानदार-काम दमदार, बेशक मजबूती से जनता को यह दिखा रहा है कि सभी क्षेत्रों में काम हुआ है लेकिन सरकार का जो काम दिख रहा है, उसमें “बेहतर कानून और व्यवस्था की स्थिति”, महामारी के दौरान मुफ्त राशन वितरण, टीकाकरण कार्यक्रम हैं। इसके अलावा एक और चीज है जिसे निजी तौर पर कई लोग स्वीकार करते हैं कि “योगीजी ने उन्हें उनकी जगह दिखा दी है।” हालांकि ये ‘वो’ कौन हैं, उसपर वो स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बताते हैं।

इस बार के चुनाव में कोरोना के दौर में नौकरियां खोने वाले, पिछड़े समुदायों में निराशा और किसान आंदोलन का जमीन पर ज्यादा प्रभाव देखने को मिल रहा है। जो भाजपा के लिए एक चिंता का कारण है। भाजपा के लिए, 2014 के बाद से हमेशा की तरह, उसका सबसे बड़ा तुरुप का इक्का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिनकी मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रियता है।

मथुरा जिले के मंट निर्वाचन क्षेत्र में रहने वाले राजेंद्र शर्मा की मानें तो पूरे यूपी में बीजेपी और सपा के बीच टक्कर है। वो कहते हैं- “लड़ाई है। ये गठबंधन है सपा-लोक दल। बीजेपी और उन में टक्कर है पूरा यूपी में”।

अगर हम मथुरा की बात करें तो इसे भाजपा का गढ़ माना जाता है, खासकर वृंदावन और उसके आसपास के इलाके में। लेकिन इस बार बांके बिहारी मंदिर के प्रवेश द्वार पर मिठाई की दुकान के मालिक से लेकर तीर्थयात्रियों के लिए मुख्य मार्ग पर इंतजार कर रहे युवा टूर गाइड तक, सभी सरकार से नाराज दिखे।

मथुरा के पलटौनी गांव के एक टूर गाइड और बीजेपी के समर्थक ऋषि बताते हैं- “पिछले चार वर्षों में, सरकार द्वारा युवाओं के लिए एक भी नौकरी की पेशकश नहीं की गई है – चाहे वह रेलवे, रक्षा या किसी अन्य क्षेत्र में हो। मैं फॉर्म भरता रहा हूं, लेकिन कुछ नहीं आया।” एक अन्य नौजवान जिसने 12 वीं तक की पढ़ाई की है। उसने कहा कि हर महीने बेरोजगार युवाओं के लिए 500 रुपये का वादा नहीं किया गया था, लेकिन उसे आजतक नहीं मिला।

वृंदावन में ही गाइड के रूप में काम करने वाले अमित शर्मा और उमेश कुमार उपाध्याय भी नौकरियों की कमी और बढ़ती कीमतों पर नाखुश दिखे। भाजपा के प्रचार अभियान में विश्व स्तरीय सड़कों और राजमार्गों का दावा किया जा रहा है। एक अन्य नौजवान ऋषि कहते हैं कि मौजूदा सड़कों का भी ठीक से रखरखाव नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा- “मेरे क्षेत्र के दो गांवों के बीच 5 किमी सड़क में कम से कम 400 गड्ढे हैं।”

मथुरा से भाजपा के उम्मीदवार श्रीकांत शर्मा हैं, जो राज्य के बिजली मंत्री भी हैं। नौकरियों की कमी और अच्छी सड़कों पर गहरे असंतोष के बीच बेहतर बिजली की स्थिति उनके पक्ष में काम कर सकती है।

यूपी के हाथरस में भी मथुरा जैसे ही हालात हैं। हाथरस में मेंडु रोड पर एक दुकान चलाने वाले योगेश्वर मित्तल बताते हैं कि पांच साल में योगी सरकार ने उनके जीवन में या उनके क्षेत्र में बहुत अधिक बदलाव नहीं किया है। उन्होंने कहा- “रसोई गैस बहुत महंगी है। हर जरूरी सामान के दाम बढ़ गए हैं। मैं एक छोटा सा प्लॉट भी नहीं बेच पा रहा हूं। मुझे अपने लिए जगह खरीदने के लिए पैसे जुटाने पड़ते हैं क्योंकि आसपास की सड़क खराब स्थिति में है”।

कोविड लॉकडाउन के समय शुरू किया गया मुफ्त राशन, भाजपा सरकार के पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि दिखती है। दो जिलों के कई मतदाता, यहां तक ​​कि जिन्होंने साफ कह दिया कि वो बीजेपी को वोट नहीं देगें, वे भी मुफ्त राशन की बात को स्वीकार करते दिखे। ग्रामीण क्षेत्रों में फ्री राशन और शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण का असर साफ देखने को मिल रहा है। हालांकि कई लोग ऐसे मिले जो सरकार से नाराज तो हैं, लेकिन वोट भाजपा को देने की ही बात कहते दिखे।

कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी मतदाता योगी सरकार से संतुष्ट दिखते हैं… खासकर अगड़ी जाति के लोग। हाथरस के एक किसान सत्यनपाल सिंह कहते हैं- “पहले ऊंची जाति की लड़कियां बाहर कदम नहीं रख पाती थीं… उनके साथ छेड़खानी की कोई घटना होती थी तो हम थाने भी नहीं जा पाते थे। लेकिन अब यह स्थिति नहीं है”।