दीपक अग्रवाल

गुरुवार को होने वाले विधानसभा चुनाव में जनपद में मुख्य मुकाबला प्रमुख राजनीतिक दलों में नजर आ रहा है। पापड़ नगरी के नाम से प्रसिद्ध जनपद हापुड़ का चुनाव दिलचस्प हो चुका है। निर्दलीय प्रत्याशी कहीं भी मुख्य मुकाबले में नहीं है। तीन विधानसभा क्षेत्रों के जनपद में तीन पूर्व विधायक फिर किस्मत आजमा रहे हैं। तीनों विधानसभा अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों का हिस्सा है।

हापुड़ विधानसभा सीट मेरठ लोकसभा सीट से जुड़ी है जिसका प्रतिनिधित्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल करते हैं तो धौलाना विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व गाजियाबाद के सांसद जनरल वीके सिंह करते हैं। इसी प्रकार प्रमुख तीर्थ स्थल गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व बसपा सांसद कुंवर दानिश अली करते हैं। तीनों ही सांसद अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में पार्टी उम्मीदवार को विधानसभा में पहुंचाने की जुगत में लगे हैं।

प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा, सपा-रालोद गठबंधन एवं बसपा के सभी उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुकाबला रहेगा। हापुड़ सुरक्षित विधानसभा सीट पर चार बार विधायक रह चुके गजराज सिंह की टक्कर भाजपा विधायक विजयपाल आढ़ती एवं बसपा के पूर्व विधायक एवं दिवंगत धर्मपाल सिंह के पुत्र मनीष से रहेगी। इसी प्रकार धौलाना विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार पूर्व सपा विधायक धर्मेश तोमर का मुकाबला सपा-रालोद गठबंधन उम्मीदवार असलम चौधरी से होगा तो बसपा उम्मीदवार बासित प्रधान भी खुद को मुकाबले में लाने को जोर लगा रहे हैं।

इसी तरह गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक कमल सिंह मलिक का टिकट कटने पर तीन बार के पूर्व सपा विधायक मदन चौहान मौके का फायदा उठाने में जुटे हुए हैं। वे पार्टी बदल बसपा के हाथी पर बैठकर विधानसभा में जाना चाहते हैं। उनका मुकाबला भाजपा के हरेन्द्र सिंह तेवतिया व सपा-रालोद गठबंधन उम्मीदवार रविन्द्र चौधरी से है।

यानी सभी विधानसभा सीटों पर प्रदेश की सत्ता कब्जाने में जुटी भाजपा, सपा रालोद गठबंधन व बसपा के बीच रहेगा। तीनों प्रमुख दलों के चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायकों तथा वर्तमान विधायकों की कामयाबी जनता की मर्जी पर टिकी है।चुनाव प्रचार का रथ थम चुका है। सभी प्रमुख दलों के कद्दावर नेता वोटों के लिए सभाएं कर चुके हैं। केवल बसपा की कोई सभा नहीं हो पाई। बसपा अपने परम्परागत दलित वोटरों के सहारे चाुनावी वैतरणी पार करना चाहती है।