अयोध्या की पहचान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से जुड़ी है। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना सूर्य पुत्र मनू ने की थी। स्कन्द पुराण में सरयू नदी के तट पर इंद्र की दूसरी नगरी अमरावती के समान अयोध्या नगरी की कल्पना की गई है। अयोध्या में राम भक्तों के परिक्रमा की लंबाई 148 कोसी और चौड़ाई 32 कोसी मानी जाती है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। राम के पिता दशरथ अयोध्या के राजा थे, अयोध्या में राजा दशरथ का शासन चलता था। अयोध्या में सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट बने हैं। इसमें कौशल्या घाट, कैकेई घाट,पाप मोचन घाट,लक्ष्मण घाट, गुप्त द्वार घाट आदि हैं। अयोध्या हिन्दुओं के सात तीर्थ स्थलों में से एक है।
इसमें अयोध्या, मथुरा, काशी, माया हरिद्वार, कांची, अवंतिका उज्जयिनी और द्वारका शामिल हैं। अयोध्या की पहचान मिटाने के लिए बाबर ने मंदिरों को तोड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया था। करीब पांच सौ साल पुराने अयोध्या के विवाद की जड़ बाबर था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 अगस्त 2020 को राममंदिर निर्माण की बुनियाद रख चुके हैं।
अयोध्या राजनीति का केंद्र माना जाता है। अयोध्या मंडल में 25 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के 19 विधायक चुने गए थे। बाकी तीन सपा और तीन बसपा के विधायक बने थे। अयोध्या जनपद के 5 विधायक और एक सांसद भाजपा के हैं। इसके बाद सुल्तानपुर जनपद में 4 भाजपा के और एक सपा के विधायक हैं। अंबेडकर नगर जनपद में दो भाजपा दो बसपा एक सपा के विधायक हैं। बाराबंकी में चार भाजपा दो सपा और अमेठी जनपद में तीन भाजपा और एक सपा के विधायक हैं। 2012 में सपा के तीन विधायक जीते थे।