उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक और नौकरशाह का प्रवेश हो गया है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह का वीआरएस 31 जनवरी सोमवार को स्वीकार हो गया। अब वह भारतीय जनता पार्टी से राजनीति में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। राजेश्वर सिंह 2जी घोटाला, सहारा मामला, राष्ट्रमंडल खेल मामला, एयरसेल मैक्सिस सौदा मामला और आईएनएक्स मीडिया समेत कई अहम मामलों की जांच में शामिल रहे हैं।

अपने वीआरएस की जानकारी देते हुए उन्होंने एक ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक एसके मिश्रा को धन्यवाद दिया। सूत्रों का कहना है कि सिंह यूपी के सुलतानपुर की सदर विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट के लिए प्रयास कर रहे हैं।

एक पत्र में सिंह ने कहा कि बचपन से ही वह अपने पिता और यूपी पुलिस अधिकारी रहे रण बहादुर सिंह के बताए रास्ते पर चलना चाहते थे। जिनका मानना ​​था कि राष्ट्रवादी राजनीति राष्ट्र की सेवा करने का तरीका है।

यूपी पुलिस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजेश्वर सिंह 2007 में ईडी में शामिल हुए थे। सिंह का नाम 2018 में तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और एजेंसी के तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच लड़ाई के दौरान सामने आया।

अपनी सेवाकाल का जिक्र करते हुए सिंह ने एक नोट में लिखा कि 24 वर्षों का कारवां एक पड़ाव पर आज रुका है। यूपी पुलिस में दस साल नौकरी करने और 14 साल तक ईडी में सेवा देने के बाद अब संन्यास ले रहा हूं।

बता दें कि सिंह ने कई अहम घोटाले की जांच में शामिल रहे हैं। जिसमें अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरटेल मैक्सिस घोटाला, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी स्कीम घोटाला, गोमती रिवर फ्रंट घोटाला आदि शामिल है।

सिंह के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो वो यूपी के सुल्तानपुर जिले के पखरौली गांव के मूल निवासी हैं। इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स धनबाद से उन्होंने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट किया। वो 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं। लखनऊ में डिप्टी एसपी के रूप में तैनाती के समय उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता था।