अजित पवार बनाम शरद पवार मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को साफ कर दिया कि वह अपने पुराने निर्णय में कोई बदलाव नहीं करेगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हमारे विचार में 19 मार्च को दिए गए निर्देशों को संशोधित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह स्पष्ट करना और दोहराना पर्याप्त है कि अजित पवार और पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता समर्थक दिए गए निर्देशों का पालन करेंगे। शरद पवार और अजित पवार दोनों गुटों को ही पीठ ने नसीहत भी दी।
शरद गुट के चुनाव चिह्न तुरही को भी अदालत ने मान्यता दे दी
इस तरह एनसीपी के चुनाव चिन्ह ‘घड़ी‘ के इस्तेमाल को लेकर दायर शरद पवार गुट की याचिका पीठ ने खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने पिछले आदेश में कहा था कि ‘घड़ी‘ चिह्न का इस्तेमाल अजित पवार की पार्टी ही करेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शरद गुट को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शरदचंद पवार नाम से ही लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने की इजाजत दे दी है। अदालत ने उसके चुनाव चिह्न तुरही को भी मान्यता दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 19 मार्च के अपने आदेश में बदलाव नहीं करेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी निर्देश दिया कि वह लोकसभा-विधानसभा चुनावों के लिए दूसरों को तुरही चुनाव चिह्न न दे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बताने वाले चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हम 19 मार्च के अपने आदेश में बदलाव नहीं करेंगे। अजित पवार और शरद पवार दोनों को आदेशों का पालन करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ पदाधिकारियों, प्रवक्ताओं, विधायकों व सांसदों से भी कहा है कि वह हमारे निर्देशों का सख्ती से पालन करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शरद पवार गुट चुनाव चिह्न घड़ी का इस्तेमाल नहीं करेगा। अजित पवार की ओर से मुकुल रोहतगी ने समाचार पत्रों में अधिक प्रमुख स्थान के साथ सार्वजनिक नोटिस जारी करने पर सहमति व्यक्त की। साथ ही आश्वासन दिया है कि पदाधिकारियों, उम्मीदवारों को जागरूक किया जाएगा कि 19 मार्च को दिए गए इस अदालत के निर्देशों की कोई अवहेलना नहीं होगी। याचिकाकर्ता यह सुनिश्चित करेंगे कि कार्यकर्ता निर्देशों का पालन करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अजित पवार अपने विज्ञापनों में यह सूचना भी लिखें कि उनके ‘घड़ी‘ चुनाव चिह्न का मामला अभी अदालत में लंबित है। शरद पवार खेमे के नेता और कार्यकर्ता खुद को एनसीपी की बजाय एनसीपी (शरदचंद्र पवार) कहें। हर जगह घड़ी की जगह तुरही चिन्ह का इस्तेमाल करें। दरअसल, शरद पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए कहा था कि अजित पवार गुट (जिसे चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर एनसीपी की मान्यता दे दी) ने सुप्रीम कोर्ट का अनुपालन नहीं किया है। अदालत के निर्देश के अनुपालन में किसी भी समाचार पत्र में अस्वीकरण प्रकाशित नहीं किया है, बल्कि 19 मार्च के कोर्ट के निर्देश में ढील के लिए आवेदन किया है।