Sant Kabir Nagar (Uttar Pradesh) Lok Sabha Election/Chunav Results 2019 Live News Updates: देश के कुल 640 अति पिछड़े जिलों में आने वाले संत कबीर नगर जिले का नाम 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने रखा था। यह क्षेत्र यूपी के उन 34 जिलों में शामिल हैं, जिन्हें मौजूदा समय में (पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोश कार्यक्रम) बीआरजीएफ के तहत फंड मिल रहा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, संत कबीर नगर की कुल आबादी 17 लाख 14 हजार 300 है।
Sant Kabir Nagar लोकसभा क्षेत्र में Sun, May 12, 2019 को चुनाव हुआ था। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से BJP के Sharad Tripathi जीते थे। जीत का अंतर 97978 था। Sharad Tripathi ने BSP के Bhism Shankar Alias Kushal Tiwari को हराया था। Sant Kabir Nagar लोकसभा सीट Uttar Pradesh के संसदीय क्षेत्रों में से एक है। Bharatiya Janata Party ने राज्य की 71 seats सीटों पर जीत हासिल की थी। Uttar Pradesh में 2014 के आम चुनाव में 58.61 % मतदान हुआ था। चुनाव में 44.94 % वोट पाकर Bharatiya Janata Party नंबर 1 रही थी। Samajwadi Party (SP) (22.35) वोट और 5 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी, जबकि Indian National Congress (INC) को (7.53) वोट और 2 सीट मिली थी।
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस ने 44 सीटों के साथ अब तक की सबसे कमजोर प्रदर्शन किया था। मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने 282 सीटें पाकर अपने दम पर बहुमत पा लिया था। क्षेत्रीय पार्टियों में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और ओड़िशा में नवीन पटनायक का बीजू जनता दल ही मोदी लहर के असर से बेअसर रह पाई थीं।
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सत्ता समाप्ति आते-आते नरेंद्र मोदी का वैसा क्रेज नहीं रह गया, जैसा 2014 में था। 2014 से 2018 के बीच कई राज्यों की विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। गुजरात जैसे राज्य में भी बीजेपी की जीत आसान नहीं रही। कई साथी दल भी एनडीए का साथ छोड़ गए। जो साथ रहे, उनमें से कई के साथ मतभेद खुल कर सामने आए। बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना खुल कर भाजपा और नरेंद्र मोदी की आलेचना करती रही। हालांकि, आम चुनाव से ऐन पहले सीटों के बंटवारे के साथ दोनों के बीच शांति भी कायम हो गई।
दूसरी ओर, राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ। 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से बीजेपी को बेदखल कर कांग्रेस ने सत्ता संभाली। इस जीत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरी और 2019 चुनावों को लेकर उम्मीदों का संचार किया। इस बीच, राहुल गांधी ने बहन प्रियंका को भी राजनीति मेंं औपचारिक दाखिला दिला दिया। उन्होंने उन्हें महासचिव बना कर पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी।
2019 के लोकसभा चुनाव में दो परंपरागत राजनीतिक दुश्मनों (सपा और बसपा) को भी एक होते देखा। उत्तर प्रदेश में ये देनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ रही हैं। इनके साथ अजित सिंह का राष्ट्रीय लोक दल भी है। कांग्रेस इस गठबंधन से बाहर है।
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