मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर शहर, जिसे पहले महू के नाम से जाना जाता था, में नीले स्तंभों पर लगी गौतम बुद्ध और बीआर अंबेडकर की सुनहरी प्रतिमाएं राजेंद्र नगर की झुग्गी बस्ती में दलित समुदाय के लिए एक मंदिर के रूप में काम करती हैं। मंदिर के अंदर बैठी 18 साल की दिव्या वाहुरवाघ अपने आदर्श नेता की तरह वकील बनना चाहती है। वे एलएलबी में एडमिशन के लिए प्रार्थना कर रही हैं। दिव्या ने कहा, “डॉ. अंबेडकर का जन्म मेरे गांव में हुआ था। उन्होंने विदेश जाकर पढ़ाई की। मैं भी राजेंद्र नगर छोड़ना चाहती हूं। मेरे परिवार में कोई भी इस झुग्गी को छोड़ने में सक्षम नहीं है।”

शहर के राजेंद्र नगर में तीन साल तक रहे थे संविधान निर्माता

2011 की जनगणना के अनुसार डॉ. अंबेडकर नगर, जहां दलित आइकन का जन्म हुआ था और उनके परिवार के महाराष्ट्र जाने से पहले उन्होंने तीन साल बिताए थे, में अनुसूचित जाति की आबादी 13% है। लेकिन अंबेडकर और संविधान को लेकर चल रही चर्चा के बीच दिव्या का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस एक ‘खतरनाक खेल’ खेल रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह दुखद है कि लोग अंबेडकर के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। बेशक संविधान नहीं बदला जाएगा और न ही मुसलमानों को आरक्षण दिया जाएगा।”

इंदौर से 24 किमी दूर, यह धार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है

इंदौर से 24 किमी दूर स्थित, यह शहर धार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जहां 13 मई को मतदान होना है। पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी तक राजनेताओं के साथ इसे प्रमुखता मिली है। संविधान पर चल रही बहस में, जहां राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बीजेपी संविधान को “खत्म” कर देना चाहती है, वहीं पीएम मोदी का दावा है कि कांग्रेस ओबीसी से आरक्षण “लूट” कर मुसलमानों को देना चाहती है।

संविधान के बारे में आरक्षण की बहस से जुड़ी असुरक्षाएं इस पूरे क्षेत्र में भर गई हैं, जहां संविधान पर राजनीति करने के लिए दोनों पार्टियों के खिलाफ दलितों में नाराजगी है। जहां कभी दलित आइकन का घर हुआ करता था, वहां अब सफेद संगमरमर और सुनहरी अंबेडकर प्रतिमा वाला एक विशाल हॉल है। इधर, भीम जन्म भूमि के संचालन के जिम्मेदारों ने एक-दूसरे पर आर्थिक गड़बड़ी का आरोप लगाया है।

जन्म भूमि स्थल का दौरा कराने वाले बीटेक ग्रेजुएट सुखदेव डाबर कहते हैं, “दोनों पार्टियां सबसे बड़ी अंबेडकर भक्त होने का दावा करती हैं और संविधान को बचाना चाहती हैं। इधर, कमेटी के सदस्य एक-दूसरे पर पैसे हड़पने का आरोप लगा रहे हैं। यह सच्चाई है। हर कोई भाषण देता है और बाबा साहब का फायदा उठाता है।”

भोजशाला मंदिर और कमल मौला मस्जिद परिसर 50 किमी दूर स्थित है, जहां क्षेत्र में रहने वाले मुसलमानों की एक बड़ी संख्या चिंता और भय महसूस करती है क्योंकि वे आरक्षण बहस में “खलनायक के रूप में चित्रित” होने का दावा करते हैं। हालांकि मध्य प्रदेश में मुसलमानों का अनुपात बहुत कम है, लेकिन वे धार की आबादी का लगभग 16% हैं। भोजशाला-कमल मौला परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक टीम हाईकोर्ट के आदेश के बाद साइट की खुदाई कर रही है।

55 वर्षीय मोची नीलेश कुमार कहते हैं, ”अब सब हिंदू-मुस्लिम है। चाय बेचते फिरते इंजीनियरों और रिकार्ड तोड़ती दाल की कीमतों के बारे में कोई पूछना नहीं चाहता। भोजशाला और आरक्षण का मुद्दा कांग्रेस के यहां सीटें जीतने के बाद आया है।” पिछले दो चुनावों में भाजपा ने धार में जीत हासिल की थी और इस बार मौजूदा सांसद सावित्री ठाकुर का मुकाबला कांग्रेस के आदिवासी नेता राधेश्याम मुवेल से है। धार के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनावों में पांच जीते।

इस्लामपुरा गांव में 29 वर्षीय शारुख सोनी कहते हैं कि इस चुनाव के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ गई हैं। वह कहते हैं, “उदारवादी हिंदू और मुसलमान कट्टरपंथी बन गए हैं। क्या हम किसी का अधिकार छीन सकते हैं? हम वोट बैंक नहीं, हम भी इंसान हैं. हमें पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए. वह असली लड़ाई है।”