आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की एक दिन की भूख हड़ताल सोमवार को विपक्षी नेताओं का रैली स्थल बनी रही। एक महीने से भी कम समय में यह दूसरा मौका है जब विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ एकजुट हुए हैं। इसके साथ ही उनके मंच पर एनडीए के सहयोगी पार्टी शिवसेना के सांसद संजय राउत भी दिखे। संजय राउत ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ मंच भी साझा किया। राज्य के मुद्दों को एक केंद्रीय मंच पर उठाने के लिये नायडू ने आंध्र भवन में प्रदर्शन शुरू किया, जहां कई विपक्षी नेता उनके समर्थन में पहुंचे।
नायडू से मुलाकात करने वाले नेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के माजिद मेमन, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, द्रमुक के तिरुचि शिवा, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव शामिल हैं। पिछली बार 19 जनवरी को 22 विपक्षी दल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एकजुट हुई थीं।
Madhya Pradesh CM Kamal Nath, Congress leader Digvijaya Singh and Shiv Sena MP Sanjay Raut at Andhra Pradesh CM & TDP Chief N Chandrababu Naidu’s day-long fast in AP Bhawan,Delhi. pic.twitter.com/Nj6jZ0vmb9
— ANI (@ANI) February 11, 2019
इस मंच से सभी विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर हमला बोला। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) अध्यक्ष ने मांग की है कि केंद्र 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के दौरान किये गये अपने वादे को पूरा करे। उन्होंने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर मोदी ‘राजधर्म’ का पालन नहीं कर रहे हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश की जनता से चुराकर पैसा अनिल अंबानी को दे दिया है। इस मामले में यही तथ्य है।’’ राहुल ने प्रदर्शन स्थल आंध्र भवन पर केंद्र पर लगाए गए आरोप में फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू जेट विमान सौदे का साफ तौर पर जिक्र किया। सरकार और अंबानी ने सौदे में भ्रष्टाचार के राहुल गांधी के आरोपों को खारिज किया है।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में रविवार को मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने भाषण में विकास या विशेष राज्य के दर्जे के बारे में बात नहीं की बल्कि ‘‘निजी हमले शुरू किये’’। उन्होंने कहा, ‘‘शीशे के घरों में रहने वालों को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए… बीसी ‘बिफोर चायवाला’ और एडी ‘आफ्टर धोखा’ है… मोदी अपने सभी सहयोगियों को गंवा चुके हैं और अब उन्होंने सीबीआई को नया सहयोगी बनाया है।’’ प्रधानमंत्री ने अपनी रैली में कहा था कि नायडू वैसे तो वरिष्ठ नेता हैं लेकिन सिर्फ चुनाव हारने, गठबंधन बदलने और अपने ससुर एन टी रामा राव को धोखा देने में।
प्रधानमंत्री पर बरसते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मोदी इतना नीचे गिर गये हैं कि वह उन नायडू के खिलाफ निजी हमले कर रहे हैं जो देश के लिये महान सेवा कर रहे हैं। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग छह दिन से बंद है। वे 30 किलोमीटर सड़क साफ नहीं करा सकते हैं लेकिन वे देश पर शासन करना चाहते हैं।’’ सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि वह स्वस्थ नहीं हैं लेकिन नायडू के रूख का समर्थन करने के लिये यहां आये। उन्होंने कहा, ‘‘नायडू गरीबों, किसानों और वंचितों की लड़ाई लड़ रहे हैं।’’ द्रमुक नेता शिवा ने कहा कि नायडू उचित कारण के लिये लड़ रहे हैं और तीन महीने में मोदी सरकार को उखाड़ फेंका जायेगा। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य की शक्तियों का अतिक्रमण किया जा रहा है… अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।’’ राज्य विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश के साथ ‘‘अन्याय’’ का आरोप लगाते हुए तेदेपा पिछले साल भाजपा के नेतृत्व वाले राजग से हट गयी थी।
लोकतांत्रिक जनता दल के प्रमुख शरद यादव ने मोदी सरकार पर बेरोजगारी पैदा करने का आरोप लगाया। इसके लिये उन्होंने नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराया। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग ने कहा कि संविधान को जानबूझकर नष्ट किया जा रहा है। 16 साल पहले अपांग ने ही पूर्वोत्तर में भाजपा की पहली सरकार बनाई थी। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, अहमद पटेल और जयराम रमेश भी नायडू का समर्थन करने के लिए पहुंचे।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और विपक्षी दलों की राज्य सरकारों के साथ सौतेला बर्ताव करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘किसी व्यक्ति ने चाहे किसी पार्टी को वोट दिया हो, लेकिन चुनाव जीतकर अगर वह मुख्यमंत्री बनता है तो वह समूचे राज्य का मुख्यमंत्री है ना कि किसी खास पार्टी का। इसी तरह अगर कोई प्रधानमंत्री बनता है तो वह समूचे देश का प्रधानमंत्री होता है ना कि सिर्फ एक पार्टी का। जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकारों के साथ बर्ताव करते हैं ऐसा लगता है कि वह भारत के प्रधानमंत्री नहीं बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हों।’’ (एजेंसी इनपुट के साथ)