पश्चिम बंगाल में टीएमसी चीफ ममता बनर्जी यह ऐलान कर चुकी हैं कि वो अब सीट शेयरिंग पर कांग्रेस के साथ कोई बात नहीं करेंगी। उनके इस ऐलान को इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, हालांकि सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा पहले से ही टीएमसी के खिलाफ खड़ा हुआ था।
राज्य में कांग्रेस पार्टी और टीएमसी के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। ममता बनर्जी और बंगाल कांग्रेस के चीफ अधीर रंजन चौधरी आए दिन एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते नजर आते हैं। ममता बनर्जी ने एक जनवरी 1998 को कांग्रेस से अलग होने के बाद टीएमसी बनाई थी।अधीर रंजन चौधरी साल 1999 से बहरामपुर से पांच बार सांसद रह चुके हैं। वह लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता भी हैं। इन दोनों नेताओं के बीच संबंधों पर इन्हीं की पार्टी के नेता कहते हैं कि वे हमेशा एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं और अलग-अलग रहे हैं।
ममता और अधीर रंजन दोनों ही नेताओं के साथ काम कर चुके कांग्रेस पार्टी के एक सीनियर नेता कहते हैं कि ये दोनों ही कभी एक नाव में नहीं रहे हैं। जब ममता बनर्जी ने नब्बे के दशक के अंत में पीसीसी चीफ सोमेन मित्रा के ग्रुप के खिलाफ विद्रोह किया और फिर टीएमसी बनाई, तब अधीर रंजन सोमेन ग्रुप और प्रियरंजन दासमुंशी जैसे नेताओं के साथ थे। विडंबना यह है कि सोमेन सहित कई कांग्रेस नेता बाद में टीएमसी में शामिल हो गए और सांसद बन गए लेकिन अधीर कभी टीएमसी में नहीं गए और न ही कभी ममता के करीब आए।
2011 में सत्ता में आईं ममता बनर्जी
ममता बनर्जी साल 2011 में लेफ्ट के 34 साल के शासन को खत्म कर पहली बार सत्ता में आई। दिसंबर 2012 में ममता के केबिनेट मंत्री रहे कांग्रेस पार्टी के नेता मनोज चक्रवर्ती के इस्तीफे के बाद उनकी सरकार गिर गई। मनोज चक्रवर्ती अधीर रंजन के करीबी थे और उनके गृह क्षेत्र मुर्शीदाबाद से संबंध रखते हैं। तब अधीर रंजन मनोज चक्रवर्ती के साथ खड़े थे।
उन दिनों से ही अधीर रंजन चौधरी ममता विरोधियों में एक बड़ा नाम रहे हैं। साल 2016 में जब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट ने गठबंधन किया, तब अधीर रंजन इसके पीछे बड़ा फैक्टर थे। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने बताया कि हमारे नेतृत्व ने हमेशा कांग्रेस हाईकमान को बताया है कि अगर अधीर रंजन बंगाल में पार्टी के अध्यक्ष रहेंगे तो कांग्रेस कभी टीएमसी से गठबंधन नहीं कर पाएगी। ममता बनर्जी ने हमेशा प्रदीप भट्टाचार्य या अब्दुल मन्नान जैसे कांग्रेस नेताओं को प्राथमिकता दी है जो टीएमसी के खिलाफ कम आक्रामक हैं।
अधीर रंजन को हराना ममता का मकसद?
ममता बनर्जी ने हाल ही में मुर्शीदाबाद में टीएमसी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि पार्टी सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयार कर रही हैं। टीएमसी सूत्रों ने बताया कि इस दौरान अधीर रंजन के क्षेत्र की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप सभी एक होकर लड़ोगे तो आप अधीर रंजन चौधरी को हरा सकते हो।
इससे पहले अधीर रंजन ने भी ममता को चैलेंज किया था। उन्होंने कहा था कि अगर तुम्हारे पास ताकत है तो आओ और बहरामपुर से चुनाव लड़ो। इस दौरान उन्होंने यह भी दावा किया कि ममता बनर्जी ताकत के दम पर चुनाव जीत सकती हैं लेकिन जनता का दिल नहीं जीत सकतीं। उन्होंने कहा कि मुर्शीदाबाद में लोग हमारे साथ हैं।
अधीर रंजन ममता को अवसरवादी भी कह चुके हैं। वह यह भी कहा चुके हैं कि कांग्रेस ममता बनर्जी की दया पर चुनाव नहीं लड़ेगी। कांग्रेस को चुनाव लड़ना आता है। ममता बनर्जी को यह याद रखना चाहिए कि वो कांग्रेस के समर्थन से बंगाल की सत्ता में आई थीं। आपको बता दें कि ममता बनर्जी बंगाल में कांग्रेस को दो से ज्यादा सीटें नहीं देना चाहती।