Alok Deshpande
महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव के लिए सीट-बंटवारे की घोषणा की। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) राज्य की 48 सीटों में से 21 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कांग्रेस 17 सीटों पर और एनसीपी (शरद पवार) 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उद्धव ठाकरे के लिए इसमें बड़ी जीत देखी जा रही क्योंकि एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उनके 80 फीसदी विधायक चले गए थे। शिवसेना को सभी पांच क्षेत्रों (कोंकण, पश्चिमी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ) से सीटें मिली हैं। पार्टी ने मुंबई, कोंकण और उत्तरी महाराष्ट्र में पारंपरिक रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है।
वहीं एनसीपी (शरद गुट) ने अपने संसाधनों को कम लेकिन जीत की अधिक संभावना वाली सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है। शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने उन सीटों को अपने पास रखा है जहां पिछले साल की टूट के बावजूद उसकी अच्छी-खासी उपस्थिति और प्रभावशाली नेता बरकरार हैं।
कांग्रेस को पांच साल पहले 2019 के लोकसभा चुनावों में एनसीपी के साथ सीट-बंटवारे के समझौते के तहत 26 सीटें मिली थीं, लेकिन उसने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक सीट बहुजन विकास अघाड़ी को दे दी थी। इस बार टूट के कारण एनसीपी पहले से भी कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। प्व्हले कहा गया था कि कांग्रेस और अन्य दो दलों के बीच मतभेद 10 सीटों से अधिक तक बढ़ गया था। अंत में, सफलता तब मिली जब कांग्रेस ने सांगली और मुंबई साउथ-सेंट्रल को सेना (यूबीटी) को और भिवंडी को एनसीपी को सौंप दिया।
सबसे पुरानी पार्टी, जो अविभाजित एनसीपी के साथ पहले गठबंधन में बड़ी भागीदार थी, अब मुंबई में दो सीटों पर सिमट गई है। भिवंडी के भी चले जाने से वह कोंकण क्षेत्र में मैदान में नहीं रहेगी। कांग्रेस का मुख्य फोकस विदर्भ है, जहां वह 10 में से सात सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी पश्चिम महाराष्ट्र में तीन निर्वाचन क्षेत्रों में भी चुनाव लड़ रही है और मराठवाड़ा में लातूर, नांदेड़ और जालना के तीन निर्वाचन क्षेत्रों में सिमट गई है।
क्या कांग्रेस को बगावत का सामना करना पड़ेगा?
सीट बंटवारे से स्थानीय कांग्रेस पदाधिकारी पार्टी नेतृत्व से नाखुश हैं। सांगली में कुछ नेता संभावित विद्रोह की बात कर रहे हैं। वहां स्थानीय नेतृत्व महाराष्ट्र के पूर्व सीएम वसंतदादा पाटिल के पोते विशाल पाटिल की उम्मीदवारी पर जोर दे रहा था। यह निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन 2014 में पार्टी आजादी के बाद पहली बार वहां हार गई क्योंकि भाजपा ने यहां से जीत हासिल की।
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक विश्वजीत कदम और विशाल पाटिल तीन बार कांग्रेस आलाकमान से मिलने के लिए दिल्ली गए। पिछले हफ्ते स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत के दौरे का बहिष्कार किया, जिससे सहयोगी दलों के बीच विवाद पैदा हो गया। सांगली में कांग्रेस ने दावा किया है कि वहां सेना की कोई मौजूदगी नहीं है।
सांगली में कांग्रेस नेताओं ने पार्टी की कमजोरी को मजबूत नेतृत्व की कमी को जिम्मेदार ठहराया। एक कांग्रेस नेता ने कहा, “राज्य नेतृत्व ने हमसे कहा था कि दिल्ली में आलाकमान ही अंतिम फैसला लेगा। जब आप ठाकरे और पवार के साथ बातचीत कर रहे हों, तो आपको कूटनीतिक और सतर्क रहना चाहिए। केवल सार्वजनिक बयान देना पर्याप्त नहीं है।” पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक विशाल पाटिल निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। एक अन्य गुट ने दावा किया है कि पार्टी अभी भी किसी को मैदान में उतार सकती है और सहयोगियों के बीच सीधी लड़ाई के लिए मंच तैयार कर सकती है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मौजूदा सांसद राहुल शेवाले के खिलाफ मुंबई दक्षिण-मध्य से अनिल देसाई की उम्मीदवारी की घोषणा से मुंबई कांग्रेस के नेता भी शिवसेना (UBT) से नाराज हैं। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ इस क्षेत्र के प्रमुख दावेदारों में से एक थीं। भिवंडी में स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि वे एनसीपी उम्मीदवार के लिए काम नहीं करेंगे। सेना (यूबीटी) के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने कोल्हापुर, रामटेक और अमरावती को कांग्रेस के लिए छोड़ दिया है और सांगली और मुंबई दक्षिण-मध्य में चुनाव लड़ने में कुछ भी गलत नहीं है।
इस बीच उद्धव ठाकरे, शरद पवार और राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि निर्णय सर्वसम्मत था और एमवीए में कोई मतभेद नहीं है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा, “आखिरकार, हमें कहीं न कहीं चर्चा बंद करनी पड़ी और चुनाव प्रचार शुरू करना पड़ा। महत्त्वाकांक्षा रखना कोई गुनाह नहीं है। हालांकि हमें जीत के लिए एक साथ आना होगा और यह तय करना होगा कि किसे हराना है। हमने एक साथ काम करना शुरू कर दिया है। वहीं शरद पवार ने कहा, ”किसी भी सीट पर कोई मतभेद नहीं है, चाहे वह सांगली हो या कोई अन्य। सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए हैं।”