अयोध्या में बन रहे भव्य राम के उद्घाटन की तारीख तय हो गयी है। 24 जनवरी 2023 को पीएम मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से भाजपा को अगले साल के संसदीय चुनावों में बढ़त मिलेगी लेकिन यह पहले से ही मध्य प्रदेश में एक चुनावी मुद्दा बन गया है।

हाल ही में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंदिर के अभिषेक समारोह में आमंत्रित किया था। जिसके कुछ दिनों बाद मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भव्य राम मंदिर के निर्माण की घोषणा करने वाले होर्डिंग्स लगाए गए और भाजपा सरकार का समर्थन करने वाले पोस्टर लगाए गए। इन होर्डिंग्स में पृष्ठभूमि में मंदिर की छवि के साथ पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित अन्य की तस्वीरें थीं।

बीजेपी नेताओं के चुनावी भाषणों में राम मंदिर का मुद्दा

बीजेपी के शीर्ष नेताओं के चुनावी भाषणों में भी राम मंदिर का मुद्दा छाया रहा। पीएम मोदी ने शुक्रवार को चित्रकूट में कहा कि मंदिर पूरा होने की कगार पर है और प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित होना उनका सौभाग्य है। अगले दिन, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर मंदिर निर्माण में बाधा डालने का आरोप लगाया।

शाह ने छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव में एक रैली में कहा, “2019 में, एमपी के लोगों ने दूसरी बार अच्छी संख्या में सीटों के साथ मोदी जी को चुना और मोदी जी ने मंदिर की आधारशिला रखी। 22 जनवरी को मंदिर का अनावरण भी किया जाएगा। जब मैं भाजपा अध्यक्ष था, तो राहुल बाबा (कांग्रेस नेता राहुल गांधी) ‘मंदिर वहीं बनाएंगे, पर तिथि नहीं बताएंगे’ के नारे के साथ हमारा मजाक उड़ाते थे। अब हमने मंदिर बना लिया है और तारीख भी बता दी है। अब राहुल बाबा को जाकर प्रार्थना करनी चाहिए।”

कांग्रेस नेता भी खुद को बता रहे राम भक्त

वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस भी खुद को राम भक्त साबित करने में जुटी है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हाल ही में कहा, ”मैं सनातन धर्म का पालन करता हूं, और मैं एक अच्छा हिंदू हूं। हालांकि, चुनाव में धर्म का इस्तेमाल वर्जित है। राम मंदिर निर्माण में शिवराज सिंह चौहान ने 1 लाख रुपये दिए, जबकि मैंने दिए 1.11 लाख रुपये। मैंने वह चेक ट्रस्ट में जमा करने के लिए पीएम मोदी को भेजा। उन्होंने इसे वापस भेज दिया और मुझसे इसे खुद जमा करने के लिए कहा। मैंने इसे जमा कर दिया।”

गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने रविवार को कांग्रेस से सवाल किया था कि कांग्रेस स्पष्ट करें कि वह राम के विरोध में है या राम मंदिर के विरोध में है। इसको लेकर पूछे सवाल पर ही दिग्विजय सिंह ने पलटवार किया है। भाजपा का यह कदम कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति का जवाब है। 17 अक्टूबर को जारी अपने घोषणापत्र में, पार्टी ने ‘श्री राम वन गमन पथ’ का विकास शुरू करने और श्रीलंका में सीता मंदिर का निर्माण फिर से शुरू करने का वादा किया। पार्टी ने चित्रकूट में राम के मित्र निषाद केवटराज की मूर्ति स्थापित करने का भी वादा किया है।

शनिवार को वीडी शर्मा ने कहा था कि कांग्रेस मूल रूप से ‘राम, हिंदुत्व और सनातन धर्म’ के खिलाफ थी और यह चुनाव के दौरान सामने आया था। उन्होंने कहा, “राम मंदिर के होर्डिंग्स को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से आपत्ति जताई है और इन होर्डिंग्स को हटवाने की मांग की है। यह कांग्रेस का मूल चरित्र है।”