मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने में अब 14 दिन बचे हैं। इस बीच सत्तारूढ़ भाजपा के बागी नेताओं ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और पार्टी आलाकमान की नींद उड़ा रखी है। टिकट नहीं मिलने से वैसे तो कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं लेकिन पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया, ग्वालियर की पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता, नरेंद्र कुशवाह ने भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोक कर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इसी वजह से भाजपा के सीनियर नेताओं ने इन लोगों को मनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन वे तीनों नहीं माने। मंगलवार (13 नवंबर) को पूर्व मंत्री कुसमारिया को मनाने भाजपा के उपाध्यक्ष प्रभात झा दमोह पहुंचे थे लेकिन उनकी कोशिशें भी नाकाम रहीं। सीएम शिवराज सिंह ने ब्रह्मास्त्र के रूप में प्रभात झा का इस्तेमाल किया था लेकिन झा से कुसमारिया नहीं मिले। इससे पहले कुसमारिया प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और संगठन महामंत्री सुहास भगत को भी खाली हाथ लौटा चुके हैं।
ग्वालियर दक्षिण से निर्दलीय चुनाव में उतरीं पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा को काम करने वालों की नहीं गुलामों की जरूरत है। उधर, भाजपा के एक और बागी नेता नरेंद्र कुशवाह ने भिंड से समाजवादी पार्टी के टिकट पर ताल ठोक दिया है। उन्होंने भी मान-मनौव्वल कराने आए भाजपा नेताओं को बैरंग लौटा दिया। बता दें कि नाम वापसी में अब एक दिन का ही समय बचा है। ऐसे में भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस भी चाहती थी कि बागियों को मनाकर डैमेज कंट्रोल किया जाए।
भाजपा के एक और बागी नेता और पूर्व मंत्री राघवजी स्पाक्स पार्टी से विदिशा की शमशाबाद सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं। उन्हें भी मनाने की कोशिशें होती रही हैं। राघवजी को मनाने का सिलसिला मंगलवार देर रात तक चलता रहा। उन्होंने खुद स्वीकार किया कि भोपाल से लेकर दिल्ली तक पार्टी के बड़े नेताओं ने फोन पर बात की है। हालांकि, उन्होंने नेताओं का नाम नहीं बताया। माना जा रहा है कि राघव जी से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की बात हुई है। फोन पर बातचीत के बाद राघवजी थोड़े नरम नजर आए, वैसे उन्होंने कहा कि बुधवार (14 नवंबर) को समर्थकों संग बातचीत करने के बाद कोई अंतिम फैसला करेंगे। बता दें कि राज्य में 230 विधान सबा सीटों के लिए 28 नवंबर को मतदान होने हैं। नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे।