Krishna Poonia Profile: राजस्थान समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राजस्थान चुनाव इस बार काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। राजस्थान की सादुलपुर सीट भी चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां से वर्तमान विधायक कृष्णा पूनिया मैदान में हैं। कृष्णा पूनिया के राजनीति में आने की कहानी काफी दिलचस्प है। हरियाणा के अग्रोहा में जन्मी कृष्णा पूनिया राजस्थान की सादुलपुर सीट से विधायक हैं।
कृष्णा पूनिया देश की सफलतम डिस्कस थ्रोअर रह चुकी हैं और उन्होंने तीन ओलंपिक खेलों में भी हिस्सा लिया है। साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड भी जीता है। कृष्णा पूनिया का जन्म एक जाट किसान परिवार में हुआ था और उनके पिता का डेरी फार्म हाउस था। कृष्णा पूनिया भी भैंस का दूध निकाला करती थीं।
कृष्णा पूनिया बचपन से ही खेलों में रुचि लेती थी और उन्होंने डिस्कस थ्रो को कॉलेज लाइफ से ही चुना। पहले यूनिवर्सिटी लेवल पर मेडल जीता और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2004, 2008 और 2012 में कृष्णा पूनिया ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
कृष्णा पूनिया की शादी राजस्थान के चुरू जिले के राजगढ़ निवासी वीरेंद्र पूनिया से हुई। 24 नवंबर 1999 को दोनों ने शादी की और वीरेंद्र ही उनके कोच भी बने। कृष्णा पूनिया ने 2006 में दोहा और 2010 में एशियाड में कांस्य पदक जीता और फिर 2010 दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता।
वर्ष 2011 में कृष्णा पूनिया को पद्मश्री से नवाजा गया। 2013 में कृष्णा पूनिया ने राजनीति में आने का फैसला लिया और उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2013 से पहले उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की थी और उन्हें सादुलपुर सीट से उम्मीदवार बनाया गया। हालांकि कृष्णा पूनिया चुनाव हार गईं और तीसरे नंबर पर रहीं। लेकिन उन्होंने सादुलपुर की जनता की सेवा करना ही चुना और यहीं पर डटी रहीं।
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें फिर से सादुलपुर सीट से ही उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। 2023 में एक बार फिर से कांग्रेस ने भरोसा जताते हुए कृष्णा को सादुलपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अकेले दम पर बहुमत हासिल किया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 100 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि भाजपा को 73 सीट मिली थी।